हिजाबी बुशरा मतीन ने 16 स्वर्ण पदक हासिल कर इतिहास रच दिया है।साबित कर दिया की हिजाब सफलता में बाधा नहीं, बस कामयाबी का जुनून होना चाहिए।जब सपने हमारे हैं तो कोशिशें भी हमारी होनी चाहिए।बड़े मकसद और इसे हासिल करने के जुनून के सामने हर चुनौती बौनी साबित होती है। कुछ लोग इतिहास रटने नहीं रचने में विश्वास रखते हैं।
मेहनत और लगन से इसे हासिल भी करते हैं। मेहनत इतनी खामोशी से करते हैं कि सफलता शोर मचाती है और वैसे भी तरक्की के ‘बाज’ की उड़ान में कभी आवाज नहीं होती है।विश्वेश्वरय्या प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने गुरुवार को 21वां वार्षिक दीक्षांत समारोह मनाया तो बुशरा की सफलता शोर मचा रही थी। इंजीनियरिंग की छात्रा बुशरा मतीन ने 16 स्वर्ण पदक अपने नाम कर इतिहास रचा है। इससे पहले सर्वाधिक 13 स्वर्ण पदक जीतने का इतिहास है। बुशरा ने रायचुर जिले के एसएनएन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से बीइ सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की है।
रायचुर जिले की बुशरा मतीन: बुशरा के माता-पिता के अनुसार भी उनकी बेटी बचपन से ही पढऩे में तेज और जिम्मेदार थी। बुशरा ने हर समय पढ़ाई पर पूरा ध्यान दिया और इसी का नतीजा है कि वह आज इस मुकाम पर है।इस्लाम के पैगाम में शिक्षा को लेकर बताया गया है कि आदमी और औरत सभी को शिक्षा हासिल करने का हक है। इसी बीच यहां बताने जा रहे हैं कि कर्नाटक में एक मुस्लिम लड़की बुशरा मतीन ने राज्य यूनिवर्सिटी में शैक्षिक उत्कृष्ठता में 16 गोल्ड मैडल जीत कर एक अनूठा रिकार्ड कायम किया है। मतीन आईएएस की परीक्षा की तैयारी में जुटी हैं और उनका मकसद अब यूपीएससी परीक्षा को पास करना है।
यूनिवर्सिटी चांसलर ने बताया है कि बुशरा मतीन की वजह से आज हम गर्व महसूस कर रहे हैं। उन्होंने न सिर्फ अपना और अपने माता-पिता का नाम रोशन किया है। मतीना ने यूनिवर्सिटी का नाम भी देश भर में रोशन किया है। उन्हें यूनिवर्सिटी के वार्षिक कार्यक्रम में कई शैक्षणिक क्षेत्रों में उपलब्धि हासिल करने के लिए सम्मानित किया जाएगा।यूपीएससी की तैयारी जारी:बुशरा ने पत्रिका को बताया कि वे गत वर्ष नवंबर से यूपीएससी (UPSC) की तैयारी कर रही हैं।
इसलिए कॉलेज प्लेसमेंट में भी भाग नहीं लिया। सिविल सेवा एक ऐसा मंच है, जहां से वे देश के लोगों के लिए बेहतर काम कर सकेंगी। उनके पिता जूनियर सिविल इंजीनियर हैं। बुशरा पहले कम्प्यूटर इंजीनियरिंग करना चाहती थीं। लेकिन गृह जिला रायचुर में ही रहकर पढ़ाई करने की इच्छा के कारण उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग चुना। उनके अनुसार एक सिविल इंजीनियर देश के किसी भी क्षेत्र में रहकर काम कर सकता है। 70 की कक्षा में 23 लड़कियां थीं। यह मानना सही नहीं है कि सिविल केवल लड़कों के लिए है।
बेटियों को करें शिक्षित:सेंट मैरी कॉन्वेंट से स्कूली शिक्षा और रायचूर के प्रमाण प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज से पीयू करने वाली बुशरा ने कहा कि महिलाओं का शिक्षित होना बेहद जरूरी है। उन्हें अपने निर्णय लेने का अधिकार होना चाहिए और शिक्षा ऐसा करने का सबसे महत्वपूर्ण तरीका है। वे कहती हैं कि समस्या का सामना करें, भागे नहीं, तभी उसे सुलझा सकेंगे।संविधान ने दिया शिक्षा का अधिकार:हिजाब विवाद पर बुशरा ने कहा, ‘मैं एक भारतीय हूं। हमारा देश लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष है। हमारे सर्वोच्च संविधान ने शिक्षा का अधिकार दिया है और धर्म को इसमें बाधा नहीं बनना चाहिए। मेरे कॉलेज ने हिजाब पहनने से नहीं रोका।’