रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से पूरी दुनिया में कच्चे तेल की कीमतों को लेकर आशंका का माहौल है। भारत में भी आम लोगों के मन में यह डर है कि कभी भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भारी वृद्धि हो सकती है। बहरहाल, खबर यह है कि अभी के लिए तो पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि की टेंशन छोड़ दें। इसके दो कारण है:
कच्चे तेल में बढ़ोत्तरी के खिलाफ भारत में अपनी पूरी तैयारी कर रखी है। देश की शीर्ष रिफाइनर इंडियन ऑयल कॉर्प ने रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पहली बार रूस से 30 लाख बैरल रूसी युराल की खरीदारी की। कच्चे तेल की यह खेप मई में भारत को मिलेगी।
रूस और यूक्रेन के बीच वार्ता और शांति बहाली के प्रयासों का असर है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गई है। युद्ध के दौरान यह दाम पिछले दिनों रिकॉर्ड 139 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था।
पेट्रोल-डीजल की महंगाई रोकने के सभी प्रयास करेगी सरकार
इससे पहले सरकार ने आम ग्राहकों को पेट्रोल-डीजल की महंगाई से राहत दिलाने के सभी उपाय करने का भरोसा दिलाया है। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को राज्यसभा में बताया कि ‘आने वाले महीनों में सरकार ऐसे हर कदम उठाने को तैयार है, जो ग्राहकों को पेट्रोल-डीजल की महंगाई से बचाए रख सकते हैं।’ एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने यह भी कहा कि पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने की चर्चा जीएसटी काउंसिल में हुई थी, लेकिन वहां इस प्रस्ताव को समर्थन नहीं मिला।
वर्तमान में देश को अपनी पेट्रोल-डीजल जरूरतों का करीब 85 प्रतिशत हिस्सा आयात करना पड़ता है। ऐसे में कच्चे तेल के दाम में जरा भी उछाल का सबसे अधिक असर पूरे एशिया में भारत पर ही दिखता है। कांग्रेस के नेता आनंद शर्मा का कहना था कि सरकार और विपक्षी दलों में इस बात पर सहमति बनी थी कि कालांतर में पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में ले आया जाएगा। उनका सवाल था कि सरकार इस दिशा में क्या प्रयास कर रही है? इसके जवाब में पेट्रोलियम मंत्री ने बताया कि बहुत से राज्य पेट्रोलियम पदार्थों और मदिरा से सर्वाधिक राजस्व हासिल करते हैं। ऐसे में वे राज्य इन दोनों प्रकार के उत्पादों को जीएसटी दायरे में लाने के प्रति उदासीन रुख अपना रहे हैं।
पेट्रोलियम मंत्री ने राज्यसभा को यह भी बताया कि ‘अभी तक नौ राज्यों ने पेट्रोल व डीजल से मूल्यवर्धित कर (वैट) नहीं घटाया है। उनके अनुसार इनमें महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना व केरल जैसे राज्य शामिल हैं। सदन को इस तथ्य पर खुश होना चाहिए कि बीते वित्त वर्ष (अप्रैल, 2020-मार्च, 2021) के दौरान दुनियाभर के कई हिस्सों में पेट्रोल-डीजल के दाम में 58 प्रतिशत तक का उछाल आया लेकिन इसी अवधि के दौरान भारत में पेट्रोल-डीजल का दाम सिर्फ पांच प्रतिशत बढ़ा।’