IT विभाग ने 3 दशक तक किया लता मंगेशकर को परेशान, लेकिन कोर्ट ने बढ़ा दिया मान

Deepak Pandey
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लता मंगेशकर हमारे बीच नहीं हैं. लेकिन उनके जीवन से जुड़े कई किस्से आज भी जीवित हैं। ऐसा ही एक किस्सा उनके और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से जुड़ा है।जिसमे उन पर आय़ से अधिक संपत्ति की बात छिपाने की है। ये वाक्या तब हुआ जब लता ने गणतंत्र दिवस के मौके पर ऐ मेरे वतन के लोगो गाया और प्रधानमंत्री नेहरु की आंखों से आंसू छलक आएं।

गणतंत्र दिवस समारोह के बाद आईटी विभाग हुआ सक्रिय

गणतंत्र दिवस समारोह के बाद आईटी विभाग ने लता के फाइल किए गए रिटर्न को खंगालना शुरु किया। जिसके लिए साल 1962-63,63-64,64-65 के आई टी रिटर्न को आधार बनाया गया. इस रिटर्न में साल दर साल क्रमश: 143650 रुपए, 138251 रुपए 119850 रुपए जमा किए गए थे। विभाग के मुताबिक पार्श्व गायिका ने इन तीन सालों में जितना काम किया है और उन्हें जो भुगतान किए गए हैं वो मेल नहीं खाते। क्योंकि लता की डायरी में एंट्री और भुगतान की रसीदें मेल नहीं खाती ।Lata Mangeshkar admitted to ICU of Breach Candy Hospital

मद्रास के वासु फिल्म्स ने लता को दिए गए भुगतान की एंट्री अपने पास कर रखी थी। यही एंट्री एक आईटी अधिकारी के हाथ लग गई थी। जिसके बाद उन्होंने अंदाजा लगाया कि जितनी कमाई हुई है उसके मुताबिक कम टैक्स भरा गया है। 20 जून, 1973 को IT विभाग और लता जी की ओर से दलीलों को पढ़ने के बाद हाई कोर्ट ने कहा था, “चूंकि हम ट्रिब्यूनल के विचार को बरकरार रखते हैं, इसलिए जुर्माना लगाने का कोई सवाल ही नहीं उठता।”

आईटी विभाग ने लता से सवाल किया कि 1960 को उन्होंने पेडर रोड पर 45 हजार रुपए का फ्लैट प्रभुकुंज में खरीदा है। इसके लिए उनके पास पैसे कहां से आएं। वहीं दूसरी तरफ लता ने वालकेश्वर में एक फ्लैट को बेचा भी था।स्वर कोकिला लता मंगेशकर की 92 साल की उम्र में हुआ निधन, काफी समय से अस्पताल में थीं भर्ती : Singer Lata Mangeshkar Passes Away

आईटी की दलील ठुकराई

बता दें कि बॉम्बे हाई कोर्ट के 30 दिसंबर, 1991 के फैसले से ये बात साबित होती है कि ये मामला 90 के दशक तक जारी रहा। आईटी विभाग उस फैसले को लेकर कोर्ट चला गया था जिसमे आयकर आयुक्त ने लता को राहत दी थी। क्योंकि लता को केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेश से 391570 रुपए के भुगतान मिले थे। लेकिन हाई कोर्ट ने आईटी विभाग की अपील को खारिज कर दिया था। अदालत ने कहा था, “हम CIT(A)से सहमत हैं कि भारत में होने वाले खर्च के किसी भी हिस्से को विदेशों में प्राप्त पैसों से जोड़ कर नहीं देखा जाता है।”

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