जीने से भर चुका इटली के लोगों का मन, प्रधानमंत्री ने माना इंमरजेंसी, बेऔलाद हुई इटली,

Sumandeep Kaur
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हर देश अलग-अलग समस्याओं का सामना कर रहा है। कहीं बढ़ती आबादी की वजह से जनसंख्या नियंत्रण करने की कोशिश की जा रही हैं, तो कुछ देश उम्रदराज होती जनसंख्या से भी जूझ रहे हैं। यहां जन्मदर से कहीं अधिक मृत्युदर है। इसमें चीन और जापान जैसे देश शामिल हैं।

इटली में पिछले तीन महीनों में एक भी बच्चे का जन्म नहीं हुआ है।  इटली में प्रजनन योग्य उम्र की महिलाओं की कमी है।
2021 के मुकाबले 2023 में जन्मदर में भारी गिरावट आई है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले साल हर सात बच्चों के जन्म पर 12 लोगों की मौत रिकॉर्ड की गई थी।

इटली में जन्म दर में गिरावट के कारण

  1. 15 से 49 साल की महिलाओं की कमी
  2. 2021 के मुकाबले 2023 में जन्मदर में भारी गिरावट
  3. पिछले साल हर सात बच्चों के जन्म पर 12 लोगों की मौत
  4. 2008 में आर्थिक संकट के बाद से जन्म दर में लगातार गिरावट
  5. जनसांख्यिकी विशेषज्ञों के मुताबिक, आर्थिक असुरक्षा

इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी इसे राष्ट्रीय आपातकाल की तरह देखती हैं।

रिपोर्ट में क्या बताया गया’

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट बताती है कि नेशनल स्टैटिक्स ब्यूरो ISTAT के आंकड़े के मुताबिक इटली में  जनवरी 2023 से जून 2023 तक जितने बच्चों का जन्म हुआ वो जनवरी 2022 से जून 2022 के बीच जन्में बच्चों की तुलना में 3500 कम हैं।

4 अक्टूबर को छपी रिपोर्ट बताती है कि इटली ने बीते दिनों एक नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है। रिपोर्ट की मानें तो इटली में पिछले तीन महीनों के अंदर एक भी बच्चे का जन्म नहीं हुआ है।

इटली में जन्म दर क्यों घट रही है

टेस्टा के अनुसार, 2030 तक, इटली उम्मीद कर सकता है कि 2 मिलियन कर्मचारी सेवानिवृत्ति में प्रवेश कर लेंगे और कार्यबल के किसी भी नए सदस्य को उनकी पेंशन का भुगतान नहीं करना पड़ेगा। 2008 में आर्थिक संकट के बाद से इटली में जन्म दर में लगातार गिरावट आ रही है, जिसका कारण जनसांख्यिकी विशेषज्ञ सहमत हैं कि इसका कारण आर्थिक असुरक्षा है।

इटली सरकार का फैसला

बीते दिनों ही इटली सरकार ने ज्यादा बच्चों को पैदा करने वालों को पेरोल कर से छूट देने का फैसला लिया था। वहीं, 24 अरब यूरो के एक बजट को मंजूरी दी थी। इस पर इटली की पीएम मेलोनी ने कहा था कि बजट का उद्देश्य परिवारों को ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करना, सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना और कम-मध्यम आय वाले लोगों की जेब में अधिक पैसा डालना है। बजट में कम से कम दो बच्चों वाली मां को पेरोल कर में मिलने वाली छूट भी शामिल थी।

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