भारतीय सभ्यता और संस्कृति को इन दिनों विदेशों में खूब पसंद किया जा रहा है, इसका प्रमाण एक बार फिर जर्मन दूल्हे और रूसी दुल्हन ने दे दिया। विदेशी होने के बावजूद इन लोगों ने भारत में आकर शादी करने का निश्चय किया और भारतीय विवाह परंपराओं का निर्वहन करते हुए सात फेरे लेकर शादी की।
दरअसल, कुछ दिनों पहले गुजरात के साबरकांठा जिले के हिम्मतनगर के सकरोड़िया गांव में एक विदेशी जोड़ा आया था। उन्होंने वहां अपने किसी जानने वाले से हिंदू रीति-रिवाजों से शादी करने का आग्रह किया। इसमें दूल्हा जर्मनी का रहने वाला था और उसका नाम था क्रिसमूलर.. जब की दुल्हन रशिया की रहने वाली थी और उसका नाम था जूलिया। जूलिया और क्रिस वियतनाम में मिले थे जहां वह दोनों नौकरी कर रहे थे। बाद में दोनों में प्यार हुआ और उन दोनों ने शादी करने का फैसला किया।
खास बात यह थी कि जूलिया को भारतीय शादियां बेहद पसंद थी और वह 10 साल पहले ही मन बना चुकी थी कि वह भारत में आकर ही शादी करेगी। इस प्रस्ताव को उन्होंने अपने दूल्हे के सामने रखा और वह भी भारत में शादी करने को राजी हो गया।
इन दोनों की शादी का आयोजन गांव वालों ने मिलकर किया और शादी की हर रस्म की पुख्ता तैयारी की गई। दोनों की पारंपरिक तरीके से हल्दी और मेहंदी भी की गई। दूल्हे को घोड़ी पर बिठाया गया और पूरे गांव में बारात निकाली गई, जिसके बाद वरमाला के पश्चात दोनों के 7 फेरे करवाए गए।
पटेल परिवार ने निभाईं शादी की रस्में
कोविड महामारी के चलते जारी प्रतिबंधों को चलते इन दोनों के माता-पिता इस शादी में शरीक नहीं हो पाए। ऐसे में लालाभाई पटेल और उनकी पत्नी ने सारी रस्में निभाईं। बारात सरोदिया के पास के ही एक गांव तक गई जहां गांव वालों ने अगवानी की। दूल्हा और दुल्हन ने गणेश पूजा, हल्दी समारोह, और सप्तपदी और अन्य अनुष्ठानों का पालन किया। शादी में शिरकत करने वाले गुजरात के ही रहने वाले मुलर के करीबी ने बताया उन्होंने गरबा खेला और आशीर्वाद के लिए बुजुर्गों के पैर छुए।
इस शादी में पूरा गांव हर्षोल्लास से सम्मिलित हुआ और स्थानीय नेताओं ने भी इसमें शिरकत की। इन दोनों का कहना है कि ‘ये पहले भी भारत आ चुके थे और उन्हें पश्चिमी संस्कृति से ज्यादा यहां की संस्कृति पसंद आई थी’। दूल्हे क्रिस का तो कहना है कि ‘उनके गुरु भी भारतीय हैं और उन्हें अध्यात्म से बेहद लगाव है।’