मुंह से अलग-अलग आवाज निकाल बांसुरी से की जुगलबंदी, जीता देश का दिल

Ranjana Pandey
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टीवी के रियलिटी शो ‘इंडियाज गॉट टैलेंट’ के इस सीजन का फिनाले हो चुका है. हर कोई इस सीजन को लेकर बेहद एक्साइटेड था क्योंकि एक-एक कंटेस्टेंट ऐसा था कि विनर चुनना बेहद ही मुश्किल था. सिंगिंग से लेकर डांसिंग तक की कैटेगरी में कंटेस्टेंट ने अपना दमखम दिखाया और केवल जजेस को ही नहीं पूरे देश को अपना फैन बना लिया.

यूं तो यह सब हमने पहले भी देखा है लेकिन कुछ ऐसा था जो इस बार खास था और उसी के नाम इस साल के विनर की ट्रॉफी रही. यह जोड़ी मनुराज और दिव्यांश की. इनके जरिए शो में पहली बार इंडियन क्लासिकल म्यूजिक और वेस्टर्न म्यूजिक की जुगलबंदी देखने को मिली.

मनुराज, पंडित हरिप्रसाद चौरसिया शिष्य रहे हैं. उन्होंने उनके मुंबई गुरुकुल में रहकर 12 साल तक शास्त्रीय संगीत सीखा है. वह बताते हैं, ‘मेरे लिए गुरुकुल में प्रवेश लेना आसान नहीं था. गुरुकुल में आने से पहले मैंने संगीत की थोड़ी बहुत शिक्षा ली थी. यहां सिर्फ संगीत सीखना नहीं होता है बल्कि गुरुकुल प्रथा का पालन करना होता है. मैं इस प्रथा को आगे बढ़ाना चाहता हूं.’

मनुराज की मां टीचर हैं और मदिरों में शौकिया तौर पर भजन कीर्तन करती हैं. एक बार वह स्कूल से लौट रहे थे तो देखा कि एक चायवाला बांसुरी बजा रहा है. यहीं से उन्होंने बांसुरी बजाना सीखा. मनुराज बताते हैं, ‘जयपुर के एक कार्यकम में गुरु संदीप सोनी को बांसुरी बजाते देखा मेरे रोंगटे खड़े हो गए. उनकी बांसुरी बिल्कुल वैसी थी जैसी मैंने फिल्मों में देखी थी. उनसे मैंने बांसुरी सीखी. उसके बाद मैंने 2600 रुपये की एक बांसुरी खरीदी जिसकी कीमत आज 18 हजार रुपये है.

 

इंडियाज गॉट टैलेंट’ की विनर जोड़ी मनुराज और दिव्यांश दोनों कहते हैं कि ये जोड़ी आगे भी बनी रहेगी. मनुराज कहते हैं ‘शो के दौरान हमारी अच्छी ट्यूनिंग हो गई है. हांलाकि हम दोनों के रहने का तरीका अलग है. दिव्यांश सुबह चार बजे सोता है और मैं सुबह चार बजे उठ जाता हूं लेकिन दिव्यांश बहुत ही मेहनती है. हम दोनों रोहित शेट्टी की फिल्म ‘सर्कस’ के बैकग्राउंड और थीम म्यूजिक पर साथ में काम कर रहे हैं और आगे भी साथ काम करते रहेंगें.’

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