किसान आंदोलन को लेकर विवादित टिप्पणी करने पर मुसीबतों का सामना कर रही कंगना रानौत को कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। कंगना रानौत पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी। लेकिन कोर्ट में कंगना के वकील की दलील सुनने के बाद उनकी गिरफ्तारी पर 25 जनवरी तक रोक लगा दी है। । मुंबई पुलिस ने यह बयान न्यायमूर्ति नितिन जामदार और न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल की पीठ द्वारा यह कहे जाने के बाद दिया कि यह मामला रनौत की अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार के बड़े सवाल से जुड़ा है और अदालत ने कंगना को राहत देने का काम किया है।इस राहत के बाद कंगना पर लटकी गिरफ्तारी की तलवार थोड़े दिनों के लिए रुक सी गई है। कोर्ट की सहमति के बाद अब अदालत मामले में उन पर दर्ज हुई शिकायत और कंगना के पक्ष को सुनकर आगे का निर्णय देगी ।
कंगना की याचिका
कंगना रानौत ने कोर्ट के सामने ये कहा कि उनके द्वारा किसी भी समुदाय का अपमान नहीं किया गया है। सिख समुदाय ने मुंबई के खार पुलिस स्टेशन में एक्ट्रेस के खिलाफ नवंबर महीने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। कंगना के मुताबिक ये शिकायत उनके इंस्टाग्राम पोस्ट के आधार पर दर्ज की गई. जबकि उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर खुद की बात लिखी थी ना कि दूसरों को अपनी बातें मानने के लिए कहा था।
कंगना के मुताबिक शिकायतकर्ता ने कहा कि इंस्टाग्राम के जरिए दिल्ली के किसान आंदोलन को खालिस्तान आंदोलन कहा था। लेकिन कंगना की मानें तो उन्होंने ऐसा कुछ नहीं लिखा। पुलिस ने इस शिकायत के आधार पर भारतीय दंड संहिता की धारा 295 A (जानबूझकर समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत करना) के तहत मामला दर्ज किया है।लेकिन कंगना के मुताबिक उन्होंने एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से खुद जो महसूस करती हैं वो लिखा। ना तो वो राजनेता हैं और न ही किसी धार्मिक समुदाय की उत्तराधिकारी ।
क्या है धारा-295A
पुलिस ने कंगना के खिलाफ जिस धारा के तहत शिकायत रजिस्टर की है वो गंभीर है। इस धारा के तहत ऐसे आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज की जाती है जो किसी व्यक्ति या समुदाय की धार्मिक भावनाएं आहत करने का काम करता हो। इस धारा के लिए ये जरुरी होता है कि आरोपी ये सब कुछ जानबूझकर किया हो। लेकिन कंगना के मामले में उनके वकील ने कहा कि कंगना ने ऐसा कुछ नहीं लिखा है जिससे किसी की धार्मिक भावनाएं आहत हो। साथ ही उनके इस पोस्ट में किसी को भी धार्मिक सद्भावना बिगाड़ने के लिए भी नहीं कहा गया है।