इस दिन सुहागिन महिलाएं श्री गणेशजी और चंद्रमा के साथ भगवान शिव, माता पार्वती और कार्तिकेय की पूजा करती हैं। करवा चौथ दो शब्दों से मिलकर बना है -‘करवा’ यानि ‘मिट्टी का बर्तन’ और ‘चौथ’ यानि ‘गणेश जी की प्रिय तिथि चतुर्थी’। आपने अक्सर देखा होगा कि करवा चौथ में पूजा के दौरान छलनी, सींक, करवा और दीपक का इस्तेमाल होता है।
करवा चौथ, हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार हर साल कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है।
इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। वहीं, अविवाहित युवतियां सुयोग्य वर की कामना के लिए इस व्रत को धारण करती हैं।
करवा चौथ किसका त्यौहार है।
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी यानी करवा चौथ का व्रत सूर्योदय से चंद्रोदय तक रखे जाने वाले इस व्रत को महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए रखती हैं. करवा चौथ व्रत में चंद्रमा की पूजा की जाती है
करवा चौथ का महत्व
इस व्रत को रखने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है और आपसी संबंध मधुर होते हैं।
इस व्रत को रखने से महिलाओं को सदैव सुहागिन होने का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मान्यता है कि द्रौपदी ने भी पांडवों को संकट से मुक्ति दिलाने के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था।
ऐसा माना जाता है कि जो स्त्री इस व्रत को करती है, उसके पति की उम्र लंबी होती है।
करवा चौथ का व्रत
यह व्रत निर्जला होता है।
इस व्रत में चंद्रमा की पूजा करना और अर्घ्य देना ज़रूरी है।
इस व्रत में करवा चौथ की कहानी भी सुनी जाती है।
इस व्रत को विवाह के 16 या 17 सालों तक करना अनिवार्य होता है।
व्रत कथा जरूर सुनें
करवा चौथ के दिन ‘करवा चौथ व्रत कथा’ सुनना बहुत जरूरी होता है। इसके बिना व्रत पूर्ण नहीं माना जाता है। यदि आप पहली बार ये उपवास कर रहीं है, तो सही दिशा में बैठकर कहानी सुने व विधिनुसार पूजा करे।
करवा चौथ के दिन ये काम नहीं करने चाहिए।
पति से झगड़ा न करें।
सफ़ेद चीज़ों का दान न करें।
चाय और कॉफ़ी न पिएं।
मसालेदार या तला हुआ खाना न खाएं।
फैटी चीज़ें न खाएं।
कैंची, सुई या चाकू का इस्तेमाल न करें।
काले, भूरे, नीले या सफ़ेद रंग के कपड़े न पहनें।
सोना न खाएं।
तामसिक चीज़ों का इस्तेमाल न करें।
इस दिन आप भूलकर भी घर में मांसाहारी भोजन न बनाएं। साथ ही परिवार के अन्य सदस्यों को भी इसे खाने से रोके।
करवा चौथ व्रत पूजा मुहूर्त |
- ब्रह्म मुहूर्त- 4:41 AM से 5:31 PM
- अभिजित मुहूर्त- 11:44 AM से 12:30 PM
- विजय मुहूर्त- 2:03 PM से 2:49 PM
- गोधूलि मुहूर्त- 5:42 PM से 6:06 PM
- अमृत काल- 4:08 PM से 5:50 PM
करवा चौथ व्रत की पूजा विधि
सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें।
मंदिर की साफ़-सफ़ाई करके दीपक जलाएं।
देवी-देवताओं की पूजा करें।
निर्जला व्रत का संकल्प लें।
शाम के समय पुनः स्नान करें।
गेहूं से फलक बनाएं और चावल पीस कर करवा की तस्वीर बनाएं।
एक लोटे में जल रखें।
करवा में दूध, जल, और गुलाब जल मिलाकर रखें।
चांद निकलने के बाद छलनी की ओट से पति को देखें।
चंद्रमा को अर्घ्य दें।
पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करें।
करवा चौथ की कथा कहें या सुनें।
कथा सुनने के बाद अपने घर के सभी बड़ों का चरण स्पर्श करें।
निर्जला व्रत का पारण करें।