पिछले कुछ समय में साइबर क्राइम की घटनाएं बढ़ गई हैं। हैकर्स अलग—अलग तरीकों से यूजर्स के डिवाइस को हैक कर लेते हैं और उनके पासवर्ड चुरा लेते हैं। इसके बाद वे उनके बैंक आकउंट तक में सेंध लगा लेते हैं। वर्ष 2022 की Weak Password Report आ गई है। इस ‘कमजोर पासवर्ड रिपोर्ट’ कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।
बता दें कि लोग सोशल मीडिया अकाउंट्स से लेकर ईमेल तक के लिए पासवर्ड बनाते हैं। इन पासवर्ड्स को समय—समय पर अपडेट भी करना पड़ता है। हालांकि कई लोग अपने डेटा को सुरक्षित रखने के लिए जब पुराने पासवर्ड को अपडेट करते हैं तो उनमें मामूली सा बदलाव कर नया बना देते हैं।
ऐसे पासवर्ड हुए हैक
स्वीडन के पासवर्ड मैनेजमेंट और ऑथेंटिकेशन सॉल्यूशन वेंडर Specops Software की ताजा रिपोर्ट के अनुसार हैकिंग के एक तरीके ‘ब्रूट फोर्स अटैक’ में इस्तेमाल होने वाले 93 फीसदी पासवर्ड 8 या ज्यादा कैरेक्टर के होते हैं। वहीं 54 परसेंट ऑर्गेनाइजेशन के पास वर्क पासवर्ड मैनेज करने के लिए कोई टूल नहीं है। वहीं रिपोर्ट के अनुसार, 42 फीसदी सीजनल पासवर्ड में ‘Summer’ शब्द पाया गया है।
इन तरीकों से हैकिंग करते हैं क्रीमिनल्स
रिपोर्ट में हैकिंग के कुछ तरीकों के बारे में बताया गया है, जिनका इस्तेमाल हैकर्स करते हैं। इन तरीकों की मदद से साइबरअटैक या पासवर्ड हैक किए जाते हैं। इन तरीकों से हैकर्स आपके पासवर्ड का पता लगाते हैं।
1. ब्रूट फोर्स अटैक
ब्रूट फोर्स अटैक में साइबर क्रीमिनल्स यूजर्स के पासवर्ड का अंदाजा लगाते हैं। इसमें स्कैमर्स हैकिंग सॉफ्टवेयर की मदद से कुछ कॉम्बिनेशन का इस्तेमाल करके यूजर्स के पासवर्ड को क्रैक करने की कोशिश करते हैं।
2. सोशल इंजीनियरिंग
सोशल इंजीनियरिंग भी हैकिंग का एक तरीका है। इसमें हैकर्स एक फर्जी सोशल इंजीनियरिंग वेबसाइट बनाते हैं। इसमें अगर कोई यूजर अपने क्रेडेंशियल्स डालता है तो वह हैकर्स के जाल में फंस जाता है। इस तरह के सोशल इंजीनियरिंग पेज देखने में बिलकुल असली जैसे होते हैं, लेकिन यह यूजर्स को हैकर्स के जाल में फंसा देते हैं।
3. क्रिडेंशियल स्टफिंग
यह भी हैकिंग का एक तरीका है। इसमें साइबर क्रीमिनल्स स्पाईवेयर और इस तरह के मैलवेयर के जरिए किसी यूजर के क्रेडेंशियल्स को चोरी करते हैं। लीक हुए पासवर्ड की कई लिस्ट डार्क वेब पर मौजूद हैं। साइबर क्रीमिनल्स इनका इस्तेमाल हैकिंग में करते हैं।
4. कीलोगर अटैक
इसमें हैकर्स स्पाईवेयर की मदद से यूजर्स की-बोर्ड टाइपिंग को ट्रैक और रिकॉर्ड करते हैं। इस तरह ही हैकिंग से बचने के लिए आपको अपने फोन में एक भरोसेमंद एंटीवायरस होना जरूरी है।