90 के दशक में दूरदर्शन पर कई बेहतरीन धारावाहिक प्रसारित होते थे. इनमें चंद्रकांता शो का नाम न लें तो नाइंसाफ़ी होगी. 90’s का शायद ही कोई बच्चा रहा होगा जिसने ‘चंद्रकांता’ शो न देखा हो. उस दौर में लोगों के बीच इस शो का क्रेज़ कुछ ऐसा था कि हम समय से पहले अपने सारे काम निपटा लेते थे. शो का टाइटल सॉन्ग प्ले होते ही पूरा परिवार टीवी के सामने पसर जाता था. दर्शकों ने इस शो पर अपना भरपूर प्यार लुटाया. ख़ासकर इसके किरदारों को बेशुमार प्यार मिला था. उस दौर में ‘चंद्रकांता’ शो हर एक के डायलॉग्स से लेकर ‘क्रूर सिंह’ की काली घनी भौं व मूछें सबको भा गई थीं. ऊपर से क्रूर सिंह का बात-बात में ‘यक्क-यक्क’ करना जिसे हम बच्चे अक्सर ‘यक्कू-यक्कू’ कहकर दोहराते रहते थे. कमाल का था ये धारावाहिक.
अब जब बात ‘चंद्रकांता’ धारावाहिक में ‘यक्कू-यक्कू’ करने वाले ‘क्रूर सिंह’ की ही हो रही है तो हम इस किरदार को जीवंत करने वाले कलाकार अखिलेन्द्र मिश्रा को भला कैसे भूल सकते हैं. अखिलेन्द्र ने केवल ‘क्रूर सिंह’ ही नहीं, बल्कि ‘सरफरोश’ में ‘मिर्ची सेठ’, ‘लगान’ में ‘अर्जन’ और ‘गंगाजल’ में बेईमान पुलिसवाले ‘भूरेलाल’ जैसे किरदारों को भी यादगार बनाया है.
असल ज़िंदगी में कौन हैं अखिलेन्द्र मिश्रा
अखिलेन्द्र मिश्रा का जन्म बिहार के सिवान ज़िले के कुलवा गांव में हुआ था. उन्होंने छपरा के उसी स्कूल से मेट्रिक की पढ़ाई पूरी की है जहां से हमारे देश के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद ने भी पढ़ाई की थी. अखिलेन्द्र का अधिकांश बचपन छपरा में ही बीता. उनके पिता गोपालगंज के डीएवी स्कूल में टीचर थे. अखिलेन्द्र को पढ़ाई ज़रा भी पसंद नहीं थी, वो अक्सर इस इससे दूर रहने के बहाने खोजते रहते थे. अखिलेन्द्र जब आठवीं कक्षा में थे तो उन्हें दुर्गा पूजा के दौरान गांव में होने वाले नाटक पसंद आने लगे. वो धीरे-धीरे इन नाटकों में हिस्सा लेने लगे. अखिलेन्द्र ने पहली बार ‘गौना के रात’ नाम के भोजपुरी नाटक में हिस्सा लिया था. इसके बाद उन्हें इसमें मज़ा आने लगा तो वो हर साल अपने चचेरे भाइयों और गांव के दोस्तों के साथ मिलकर दुर्गा पूजा पर नाटक करने लगे.
एक्टिंग था बचपन का प्यार
ये वो दौर था जब मां-बाप ‘नुक्कड़ नाटक’ करने वालों को लफंडर समझते थे. लेकिन अखिलेन्द्र को नाटकों का चस्का लग चुका था. माता-पिता मां चाहते थे कि बेटा इंजीनियर बने, अखिलेन्द्र ने भी उनकी बात नहीं टाली और इंजीनियरिंग कॉलेज के एंट्रेंस की पढ़ाई में जुट गए. इस दौरान उन्होंने आईआईटी और बिट्स जैसे कॉलेजेस के लिए एग्ज़ाम भी दिए, लेकिन बात नहीं बनी. इसके बाद उन्होंने छपरा के ‘राजेन्द्र कॉलेज’ में एडमिशन ले लिया. अखिलेन्द्र ने यहां से फ़िज़िक्स ऑनर्स से बीएससी की. ग्रेज्युएशन करने के बाद अब अखिलेन्द्र के सामने मास्टर्स करने का ऑप्शन था. वो जानते थे कि अगर मास्टर्स की तो आगे चलकर टीचर बनना पड़ेगा. लेकिन वो टीचर नहीं बनना चाहते थे. अखिलेन्द्र अब बस अपने बचपन का प्यार एक्टिंग में ही कुछ करना चाहते थे.
कुछ इस ऐसे मिला था ‘क्रूर सिंह’ का रोल
बात साल 1993 की है. इस दौरान अखिलेन्द्र को पता चला कि मशहूर निर्देशिका नीरजा गुलेरी दिल्ली से बॉम्बे आई हुई हैं और अपना शो डायरेक्ट करना चाहती हैं. इस सिलसिले में उन्हें एक्टर्स की तलाश है. अखिलेन्द्र ने किसी तरह नीरजा गुलेरी के असिस्टेंट का नंबर हासिल किया और असिस्टेंट ने नीरजा के साथ उनकी मीटिंग फिक्स कर दी. अखिलेन्द्र जब नीरजा से मिलने पहुंचे तो देखा कि उनसे पहले कतार में कई एक्टर्स लगे हुये हैं. जब उनकी बारी आई तो नीरजा ने बिना कोई फॉर्मैलिटी किए पूछा ‘चंद्रकांता’ पढ़ी है? अखिलेन्द्र ने भी बिना वक्त गवाएं न में जवाब दिया. नीरजा को अखिलेन्द्र में कुछ अलग बात लगी. क्योंकि अब तक जितने भी एक्टर्स आए, सबने उन्हें इम्प्रेस करने के लिए कह दिया था कि उन्होंने ‘चंद्रकांता’ पढ़ी है. अखिलेन्द्र की ईमानदारी ने नीरजा इस कदर इम्प्रेस हुई कि उन्होंने अखिलेन्द्र को तुरंत ‘चंद्रकांता’ शो में ‘क्रूर सिंह’ का रोल ऑफ़र कर दिया.
आज कल कहां हैं अखिलेन्द्र मिश्रा?
अखिलेन्द्र मिश्रा आख़िरी बार साल 2019 में ‘झल्की’ फ़िल्म में नज़र आये थे. फ़िल्मों के साथ-साथ वो टीवी सीरियल ‘देवों के देव… महादेव’, ‘दिया और बाती हम’, ‘महाभारत’, ‘तू मेरा हीरो’ और ‘खतमल-ए-इश्क़’ में भी नज़र आये थे. अखिलेन्द्र इन दिनों अपनी आगामी फ़िल्म ‘इंडियन 2’ की तैयारी में लगे हुये हैं. शंकर के डायरेक्शन में बन रही इस फ़िल्म में कमल हसन लीड रोल में हैं. ये फ़िल्म इसी साल रिलीज़ होने वाली है. इसके अलावा हाल ही में उन्होंने ‘व्हाइट गोल्ड’ नाम की एक वेब सीरीज़ की शूटिंग भी पूरी की है.