स्वर कोकिला लता मंगेशकर जिंदगी की जंग हार गईं और उन्होंने 92 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। सुर सम्राज्ञी लता मंगेशकर के निधन से संगीत प्रेमी सदमे में हैं।लेकिन लता के लिए किसी के भी मन में दीवानगी कम नहीं हुई है। क्योंकि लता थीं ही ऐसी। आज हर कोई लता को उनके काम को याद कर रहा है. उनका योगदान जितना संगीत के लिए था उससे कहीं ज्यादा भारत के लिए भी। उन्होंने कई दफा अपने गीतों से ये साबित किया है कि वो कितनी बड़ी देश भक्त थीं। आज हम आपको बताएंगे कि कैसे लता मंगेशकर का नाम उनके पिता ने बदल दिया और क्यों वो दोबारा पैदा होने की इच्छा नहीं रखतीं थीं।
लता मंगेशकर जब 13 साल की थीं तो उनके पिता का निधन हो गया था। इसके बाद उनके ऊपर परिवार की जिम्मेदारी आ गई थी। 13 साल की उम्र में उन्होंने फिल्म ‘पहिली मंगलागौर’ से डेब्यू किया था। लता मंगेशकर की पहली कमाई 25 रुपए थी। लता जी को 1949 में फिल्म महल के गाने ‘आयेगा आनेवाला’ को गाने का मौका मिला। इस गीत को अभिनेत्री मधुबाला पर फिल्माया गया था। यह फिल्म सफल रही और इसके बाद लता ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1974 में दुनिया में सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज़ बुक रिकॉर्ड भी लता मंगेशकर के नाम है।
लता मंगेशकर ने 36 भारतीय भाषाओं में 50 हजार से अधिक गाने गाए। वह भारत ही नहीं विश्व की सबसे प्रसिद्ध और सबसे सम्मानित पार्श्व गायकों में शामिल रहीं। संगीत की पहली शिक्षा उन्हें अपने पिता से मिली। जब वह पांच साल की थी, तब लता ने अपने पिता के नाटकों में एक अभिनेत्री के रूप में काम करना शुरू कर दिया था। लेकिन अभिनय में उनका सिक्का ना चल सका लिहाजा लता ने गाने पर फोकस किया।
दोबारा जन्म नहीं लेना चाहती थीं लता
एक सवाल में लता से पूछा गया कि अगर आपको एक इच्छा दी जाए, तो आप क्या मांगेंगी? तो उन्होंने कहा, ‘मैं पुनर्जनम (पुनर्जन्म) में विश्वास करती हूं। फिर भी, जब मैं मर जाऊं तो मैं निश्चित रूप से फिर से जन्म लेने की इच्छा नहीं रखती हूं। मुझे भगवान दोबारा जन्म नहीं दे तो अच्छा है. एक जीवन भर काफी है ।