छत्तीसगढ़ से भी लता ताई का एक अटूट नाता है। उन्होंने छत्तीसगढ़ी में सिर्फ एक ही गीत गाया है लेकिन उनका ये गीत आज भी तरोताजा लगता है।छत्तीसगढ़ी गीत को अपने कोकिला कंठ से आवाज देने वाली लता मंगेशकर को छत्तीसगढ़ हमेशा याद रखेगा। स्वर कोकिला लता मंगेशकर का छत्तीसगढ़ से एक गहरा जुड़ाव है। उन्होंने छत्तीसगढ़ी में एकमात्र गाना भकला फिल्म के लिए ‘छूट जाही अंगना दुवारी’ गाया था जो उस दौर का काफी चर्चित हुआ था। छत्तीसगढ़ के लोग लता मंगेशकर की आवाज में गाया हुआ गाना शादी विवाह के दौरान विदाई में गुनगुनाया करते हैं।
छत्तीसगढ़ी गाने को दी आवाज
शायद कम ही लोग जानते होंगे कि लता जी का नाम छत्तीसगढ़ की फिल्मों से भी काफी जुड़ा रहा है। उन्होंने एक ऐसा यादगार छत्तीसगढ़ी गीत गाया है जो आज भी लोगों की जुबान से उतरा नहीं है। वैसे तो छॉलीवुड में कई फनकार है लेकिन लता मंगेशकर से गीत गंवाने के लिए यहां के गीतकार और डायरेक्टर को खासी मशक्कत करनी पड़ी थी। तब जाकर 17 साल पहले साल 2005 में उन्होंने छॉलीवुड को अपनी नायाब आवाज से पहचान दी थी।
17 साल पहले रिकॉर्ड हुआ था गीत
यह छत्तीसगढ़ी गीत लता मंगेशकर की आवाज में 22 फरवरी 2005 को मुंबई के स्वरलता स्टूडियो में रिकॉर्ड किया गया था। बताया जाता है कि लता जी ने लोगों को मिठाई खिलाने के लिए गीतकार मदन को 50 हजार रुपए दिए थे। एक इंटरव्यू के दौरान छत्तीसगढ़ के मशहूर गीतकार मदन शर्मा ने बताया था कि लता दीदी को गाने के लिए राजी करना उनकी जिंदगी का अब तक का सबसे मुश्किल काम रहा। इस काम के लिए चार बार मुंबई के चक्कर लगाने पड़े। लता जी से छत्तीसगढ़ी में गाना गंवाने के लिए गीतकार मदन ने उपवास तक रखा था। शाम 6 बजे गाना पूरा होने के बाद मदन ने उपवास तोड़ा था।
खैरागढ़ विवि ने दी उपाधि
वहीं, छत्तीसगढ़ स्थित खैरागढ़ विश्वविद्यालय एकमात्र संगीत विश्वविद्यालय है, जहां पर भी लता मंगेशकर की यादें जुड़ी हुई हैं। लता जी को 9 फरवरी 1980 को इंदिरा गांधी कला एवं संगीत विश्वविद्यालय ने संगीत के क्षेत्र में डी-लिट की उपाधि से नवाजा था। छत्तीसगढ़ का संगीत विश्वविद्यालय आज भी आज भी लता जी की यादों के साथ चल रहा है। यहां संगीत का अध्ययन करने वाले प्रत्येक छात्र छात्राएं उनके कई गीतों को गाकर संगीत को गहराई से समझने का काम भी कर रहे हैं।