Lazy Eye In Babies >बच्चों की आंखों में समस्या होने के कई कारण हो सकते हैं। अगर आपको कोई भी लक्षण जैसी आंखों में या सिर में दर्द नज़र आए तो तुरंत उसकी जांच कराएं।
वर्तमान समय में सिर्फ़ बड़े ही नहीं बल्कि छोटे बच्चों को भी चश्मा लगाने की ज़रूरत पड़ रही है। इसके पीछे का मुख्य कारण है इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का इस्तेमाल। आजकल के बच्चे बहुत ज़्यादा टीवी देखना और मोबाइल पर गेम खेलना पसंद कर रहे हैं। इस वजह से उन्हें आंखों में जलन और दर्द के साथ-साथ सर दर्द की समस्या होने लग रही है। शुरुआत में माता-पिता की लापरवाही के कारण आगे चलकर बच्चों को ज़्यादा पावर का चश्मा लगाना पड़ जाता है। अगर आपके बच्चे में भी ये सारे लक्षण नज़र आ रहे हैं तो उसे अनदेखा ना करें। इससे बच्चों की पढ़ाई और उनके परफॉर्मेंस पर सीधा असर पड़ सकता है। इसलिए उनमें थोड़ा भी लक्षण नज़र आने पर तुरंत उन्हें किसी अच्छे डॉक्टर से दिखाए। ताकि उन्हें किसी तरह की देखने की समस्या ना हो। आइए जानते हैं कि किन-किन बातों पर ध्यान देकर आप बच्चों में आंखों से संबंधित समस्या को पहचान सकते हैं?
1. स्कूल के काम और पढ़ाई में परेशानी होना
आंखों में परेशानी होने पर बच्चे की घर से लेकर स्कूल तक की पढ़ाई बाधित होगी। वह शिक्षक द्वारा पढ़ाए जाने पर फोकस नहीं कर पाएगा। उसे बोर्ड, कॉपी, किताब इत्यादि से देखकर पढ़ने में भी परेशानी होगी। इसके अलावा बच्चा अगर किसी काम पर ध्यान नहीं दे पाने का कारण आंखों में दर्द या सर दर्द बता रहा है तो इसका मतलब उसकी आंखों में कोई समस्या है। अगर ऐसा आपके बच्चे के साथ भी हो रहा हो तो उसे डॉक्टर के पास ज़रूर ले जाएं।
2. स्क्विंट की समस्या
यह भी आंखों से जुड़ी हुई एक समस्या है। स्क्विंट (Lazy Eye In Babies ) भी आंखों का एक रिफ्रैक्टिव एरर होता है। इस समस्या में आंख किसी एक चीज़ पर बहुत ज़्यादा देर फोकस नहीं कर सकती। इस समस्या में आंखों के फोकस करने की क्षमता प्रभावित हो जाती है। इसमें थोड़ी देर ही बच्चे किसी चीज़ पर फोकस कर सकते हैं। उसके बाद चीज़ें डबल या धुंधली दिखाई देने लगती हैं। अगर आपको इस तरह का कोई लक्षण अपने बच्चे में नज़र आ रहा है तो इसका मतलब उसे चश्मे की आवश्यकता है। ऐसा होने पर बच्चे को डॉक्टर के पास ज़रूर ले जाएं।
3. गैजेट्स का नज़दीक से इस्तेमाल
आंखों में समस्या होने पर बच्चे बहुत नज़दीक से टीवी या मोबाइल की स्क्रीन पर देखते हैं। पढ़ाई करते समय भी वह एकदम नज़दीक जाकर अपनी कॉपी, किताब या बोर्ड पर देखेंगे। ये सारे लक्षण कमज़ोर आंखों की निशानी है। जिन्हें मायोपिया या नियर साइटनेस जैसी समस्या होती है उन्हें कोई भी चीज़ नज़दीक लाने पर ही दिखती है। इस समस्या में किसी भी चीज़ को दूर से नहीं देखा जा सकता। अगर ऐसा कोई भी लक्षण आपके बच्चे में नज़र आता है तो उसकी आंखों का चेकअप ज़रूर कराएं।
4. अपनी आंखों को मसलना
कभी-कभी आंखों में समस्या होने पर आंखों में खुजली जैसी होने लगती है। इससे बच्चे अपनी आंखों को मसलने लगते हैं। इस समस्या के होने पर भी चश्मे की ज़रुरत पड़ सकती है। आंखों को मसलने का मतलब है कि बच्चा अपनी आंखों में थकान जैसा महसूस कर रहा है। आंखों में जब थकान जैसा लगता है तो इसे एलर्जिक कंजेक्टिवाइटिस कहा जाता है। जब बच्चा बार-बार अपनी आंखों को मसले तो आप समझ जाएं की उसकी आंखों में यह समस्या है। और जल्द से जल्द उसे किसी अच्छे डॉक्टर से दिखाएं।
5. आंखों और सिर में दर्द होना
अगर रात के समय या हर रोज़ किसी बच्चे के सिर में दर्द हो या आंखों में दर्द हो तो यह भी कमज़ोर आंखों के लक्षण है। इसमें बच्चे को धुंधला दिखाई देता होगा। अगर ऐसा है तो बच्चे को किसी भी चीज़ को देखने के लिए अपनी आंखों पर बहुत ज़्यादा ज़ोर डालना पड़ता होगा। और इसी वजह से उसके सिर और आंखों में दर्द की समस्या होगी। यह भी समस्या होने पर डॉक्टर से दिखाना ही बेहतर होगा।
इस तरह इन सारे लक्षणों और संकेतों को देखकर आप भी अपने बच्चे की आंखों में हो रही समस्या को समझ सकेंगे। साल में एक बार अपने बच्चे की विज्युअल स्क्रीनिंग करवा लें। इससे आंखों से जुड़ी परेशानियों का पता चल जाएगा। साथ ही कोई परेशानी होने पर डॉक्टर से दिखाना ना भूलें। और ज़रूरत पड़ने पर चश्मा भी ले सकते हैं।