इस बात से हर कोई वाकिफ है कि मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में ताजमहल बनवाया था जिसका नाम दुनिया के सात अजूबों में शुमार है। लेकिन पिछले दिनों ऐसा ही एक कारनामा कर्नाटक के एक उद्योगपति ने किया। लेकिन उन्होंने अपनी दिवंगत पत्नी की याद में कोई दूसरा ताजमहल नहीं बनवाया। बल्कि कुछ ऐसा कर दिया कि उनके घरवालों के बीच उनकी पत्नी की कमी बिल्कुल भी महसूस नहीं हुई।
कहां हुआ है ये वाक्या ?
यह मामला कर्नाटक के कोप्पल में रहने वाले उद्योगपति श्रीनिवास गुप्ता का है । जिन्होंने अपनी पत्नी माधवी की सिलिकॉन वैक्स (मोम) की प्रतिमा बनवाई थी। इसके लिए उन्होंने कलाकार श्रीधर मूर्ति से संपर्क किया। पहले तो मूर्तिकार ने ऐसा करने से मना कर दिया लेकिन बाद में श्रीनिवास के निवेदन पर उन्होंने मूर्ति बनाने के काम को पूरा किया। ये प्रतिमा एक खास मौके के लिए तैयार करवाई गई थी। उस खास मौके से पहले श्रीनिवास को श्रीधर ने ये मूर्ति दे दी।
कहां गई माधवी ?
श्रीनिवास की पत्नी माधवी पूरे परिवार का ध्यान रखती थी। लेकिन 2017 में एक मनहूस दिन ने परिवार से माधवी को छीन लिया। माधवी किसी काम के सिलसिले में घर से बाहर गई हुईं थी। तभी सड़क दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई। तब से पूरा परिवार उनकी कमी को महसूस कर रहा था।
श्रीनिवास ने बनवाया नया घर
हादसे के बाद श्रीनिवास ने अपने पुराने घर को छोड़ने का मन बना लिया। नए घर में प्रवेश के लिए उन्होंने दिन तय किया। लेकिन बिना पत्नी के वो गृह प्रवेश नहीं करना चाहते थे। लिहाजा इसके लिए उन्होंने माधवी की मूर्ति बनवाने का फैसला किया। इसके बाद श्रीनिवास ने अपनी पत्नी के मोम के पुतले के साथ अपने नए घर में गृह-प्रवेश किया है क्योंकि यह माधवी के ‘सपनों का घर’ है।गृह प्रवेश के इस कार्यक्रम में जो भी मेहमान पहुंचा, वो माधवी को सीट पर बैठा देख हैरान था। हालांकि बाद में उन्हें पता चला कि श्रीनिवास गुप्ता ने माधवी की मूर्ति बनवाई है।
परिवार में आई दोबारा खुशियां
वह और उनका परिवार माधवी को फिर से पाकर बहुत खुश है और उन्होंने माधवी की मूर्ति को अपने नए घर में जगह दी है क्योंकि यह घर उनकी पत्नी का सपना था। उन्होंने कहा कि इसके लिए उन्होंने बेंगलुरु के कलाकार श्रीधर मूर्ति से संपर्क किया था जो माधवी की मूर्ति बनाने को तैयार हो गए। इस मूर्ति को बनाने में श्रीधर को एक साल लगा है।
माधवी की मूर्ति बनाने के लिए श्रीधर ने सिलिकॉन का इस्तेमाल किया गया है जो टिकाऊ होता है और कोप्पल की अधिक गर्मी को सह सकता है। ये मूर्ति हूबहू उनकी पत्नी जैसी दिखती है और इसे देखकर ऐसा लगता है कि माधवी उनके सामने, उनके पास है और मुस्कुरा रही है। वहीं उनका परिवार भी माधवी की इस प्रतिमा को पाकर फूले नहीं समा रहा है।