MELATONIN FOR CHILDREN: मेलाटोनिन, जिससे नींद की प्रक्रिया को सुधारा जाता है। लेकिन बच्चे के लिए इसका अधिक प्रयोग करने से बचें। इसके कुछ फ़ायदे हैं तो कुछ इससे जुड़ी परेशानियां भी हैं।
हम लोग सोचते हैं कि रात में हीं हमें अधिक नींद क्यों आती है? लेकिन इसके पीछे कारण है। दरअसल जब हम रात में सोते हैं तो हमारे शरीर में मेलाटोनिन नाम का एक हार्मोन रिलीज होने लगता है। शाम के समय यह हार्मोन अपने आप ही बढ़ता जाता है, और सुबह होते ही यह ख़ुद ही कम होने लगता है। इसलिए रात के समय हमें नींद अधिक आती है। बच्चों के लिए भी यह हार्मोन बहुत ज़रूरी होता है।
विशेषज्ञों के अनुसार जब बच्चे रात में कम सोते हैं या उन्हें रात के समय कम नींद आती है तो इसका मतलब है कि उनके शरीर में मेलाटोनिन हार्मोन(MELATONIN FOR CHILDREN) की कमी है। यही वजह है कि डॉक्टर द्वारा उन्हें मेलाटोनिन एक उपचार के रूप में दिया जाता है। ताकि उनके सोने की जो प्रक्रिया है वह ठीक हो सके। लेकिन बच्चों के लिए अगर अधिक मेलाटोनिन का प्रयोग किया जाएगा तो उन्हें प्यूबर्टी के समय काफ़ी परेशानियां आ सकती हैं। डॉक्टर्स का मानना है कि वैसे तो मेलाटोनिन बच्चों के लिए सुरक्षित और ठीक है। लेकिन अगर इसका प्रयोग बच्चों के लिए ज़्यादा समय तक किया गया तो उनमें किशोरावस्था आने में बाक़ी बच्चों की तुलना में थोड़ा ज़्यादा समय लग सकता है। वैसे ही इस बात का कोई प्रमाण नहीं है। जरूरत पड़ने पर बच्चे के लिए मेलाटोनिन का प्रयोग किया जा सकता है। लेकिन अगर बच्चे में प्यूबर्टी के लक्षण समय से आते हैं तो मेलाटोनिन के प्रयोग से बचना चाहिए।
कुछ विशेष परिस्थितियों में बच्चों के लिए मेलाटोनिन का करें प्रयोग
जब बच्चा स्वस्थ हो तो उसके लिए ज्यादा समय तक मेलाटोनिन का प्रयोग नहीं करें। वहीं दूसरी ओर जिन बच्चों को ऑटिज्म की समस्या है या जिन्हें एडीएचडी (ADHD) जैसी स्थितियां होती है, वैसे बच्चों को रात में सोने में परेशानी महसूस होती है। इस वजह से बच्चे अगले दिन पूरी तरह से प्रभावित हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में डॉक्टर की सलाह पर बच्चे के लिए मेलाटोनिन का प्रयोग किया जा सकता है। ऐसे बच्चों में प्यूबर्टी पर भी असर नहीं होता है। इसलिए जब तक बच्चे के सोने की प्रक्रिया सही ना हो जाए तब तक उसे मेलाटोनिन दिया जा सकता है।
शुरुआत में मेलाटोनिन का प्रयोग नहीं करें
अगर आपको शुरुआती समय में ही लग रहा है कि बच्चा ठीक से सो नहीं पा रहा है। और उसे इनसोम्निया यानी स्लीपिंग डिसऑर्डर की समस्या है तो तुरंत उसे मेलाटोनिन नहीं दें। मेलाटोनिन देने से पहले आप बच्चे की दिनचर्या में कुछ बदलाव करके देखें। हो सकता है उसके दिनचर्या में बदलाव से उसकी यह समस्या दूर हो जाए। इसके साथ ही आप बच्चे को रात में कभी भी ज़्यादा खाना ना दें। रात के समय बच्चे को किसी भी तरह का इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का इस्तेमाल नहीं करने दें। इतना करने के बाद भी अगर बच्चे को सोने में परेशानी हो रही है तो उसे डॉक्टर के पास ले जाएं। डॉक्टर की सलाह के बाद ही बच्चे को मेलाटोनिन दें।
क्या बच्चों को मेलाटोनिन देना चाहिए या नहीं?
अब आपके दिमाग़ में भी यह ख़्याल ज़रूर आ रहा होगा कि बच्चे को मेलाटोनिन देना चाहिए या नहीं? यदि आपका बच्चा थोड़े समय के लिए किसी ट्रॉमा या किसी ऐसी स्थिति से गुज़र रहा है जिसकी वजह से उसकी नींद प्रभावित हो रही है तो ऐसी स्थिति में आप बच्चे को मेलाटोनिन दे सकते हैं। क्योंकि रात के समय बच्चे अगर नहीं सोएंगे तो उन्हें सिरदर्द जैसी समस्या हो सकती है। इसके साथ ही और भी शारीरिक समस्याएं हो सकती है। ऐसी स्थिति में बच्चे को मेलाटोनिन देना बिल्कुल सही होता है। और थोड़े समय के लिए इसे देने में कोई साइड इफ़ेक्ट भी नज़र नहीं आता।
हालांकि डॉक्टर के अनुसार मेलाटोनिन के साइड इफेक्ट्स को प्रमाणित करने के लिए अभी तक कोई शोध नहीं हुआ है। लेकिन आपको अपने बच्चे के प्रति रिस्क नहीं लेना ज़्यादा बेहतर होगा। इसलिए ज़्यादा समय तक मेलाटोनिन के प्रयोग के बजाय बच्चे के लिए कुछ दूसरा उपाय करें। यह बच्चे के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों के लिए ठीक रहेगा।