नसीरुद्दीन शाह अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं। कई मौकों पर देश में चल रही घटनाओं को लेकर नसीरुद्दीन ने बयान दिए हैं। इन बयानों ने काफी हलचल भी पैदा की है। नसीर के बयान अक्सर देश में हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच हो रहे गतिरोध को लेकर होते हैं।एक बार फिर नसीरुद्दीन ने भारत में हुई एक घटना को लेकर बयान दिया है।नसीरुद्दीन ने अपने बयान में उन धार्मिक आयोजनों पर भी सवाल उठाए हैं जिसमे शांति भड़काने की बातें कही जाती है।
धर्म संसद पर उठाए सवाल
अभिनेता नसीरुद्दीन शाह मुसलमानों के जनसंहार पर की गई टिप्पणी की वजह से चर्चा में हैं। उन्होंने 17 से 19 दिसंबर तक हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद पर सवाल उठाते हुए कहा कि हम 20 करोड़ लोग इतनी आसानी से हर नहीं मानेंगे। यह हमारी मातृभूति है। हम यहीं के हैं, हमारा परिवार और पीढ़ियां यहीं की हैं, हम बुजुर्ग हिंदुस्तान की मिट्टी में ही मिले हैं। हम 20 करोड़ लोग अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे।
मुगलों को बताया हितैषी
इतना ही नहीं दिग्गज अभिनेता ने भारत में कथित तौर पर मुगलकालीन इतिहास के गौरव का बखान किया है। एक्टर की माने तो मुगल रिफ्यूजी थे। बावजूद इसके उन्होंने भारत को संगीत, नृत्य,चित्रकारी जैसी कला दी है। कई स्मारक आज भी मुगलों की देन हैं।नसीर का ये बयान सोशल मीडिया में काफी वायरल हो रहा है।
बता दें कि इससे पहले भी कई बार नसीरुद्दीन शाह ने अपने बयानों की वजह से सुर्खियां बटोरीं हैं। चाहे लव-जिहाद का मामला हो या फिर सीएए-एनआरसी मसला, अभिनेता नसीरुद्दीन ने कई मौकों पर अपनी बेबाक राय रखी है।उनकी राय के कारण कई बार वो निशाने पर भी आए। आज हम आपको अपनी पोस्ट के जरिए बताएंगे कि नसीर ने कब-कब अपने बयानों से विवाद पैदा किया है।
लव जिहाद कानून पर उठाए सवाल
लव जिहाद कानून पर टिप्पणी करते हुए नसीरुद्दीन शाह ने कहा था कि ‘लव जिहाद’ के नाम पर चलाया जा रहा अभियान एक तमाशा है। ताकि हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सामाजिक संपर्क को रोका जा सके। जिन लोगों ने यह मुहावरा गढ़ा है, वे जिहाद का मतलब ही नहीं जानते। मुझे नहीं लगता कि कोई भी इस बात को मानेगा कि एक दिन इस देश में मुसलमानों की आबादी हिंदुओं से आगे निकल जाएगी।
असहिष्णुता पर दिया बयान
अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने इसके पहले खुद के मुसलमान होने का बयान देकर सुर्खियां बटोरी हैं।उन्होंने इससे पहले कहा था कि भारत के आज के माहौल को देखकर उन्हें डर लगता है। मैं एक ऐसी स्थिति की कल्पना करता हूं, जहां मेरे बच्चों को गुस्सैल भीड़ ने घेर लिया है और उनसे पूछ रहे हैं कि “क्या आप हिंदू हो या मुस्लिम? मेरे बच्चों के पास कोई जवाब नहीं होगा। क्योंकि हमने अपने बच्चों को धार्मिक शिक्षा दी ही नहीं है। मैं मुसलमान हूं और मेरी वाइफ हिंदू। धर्म के नाम पर भारतीय समाज में “जहर” फैलाया जा रहा है।