सितंबर 1959, ये वो तारीख ह जब दूरदर्शन की शुरुआत हुई थी।ये एक परीक्षण के तौर पर शुरू किया गया था और 5 मिनट के न्यूज़ बुलेटिन को प्रसारित किया जाता था। प्रतिमा पूरी दूरदर्शन की पहली न्यूज़ एंकर थी। आप यह भी कह सकते हैं कि वो भारत की पहली न्यूज़ एंकर थी। तब से लेकर आज तक दूरदर्शन में कई एंकर्स आए। आज समय के साथ हर चीज में बदलाव नजर आने लगा है। बल्कि कई न्यूज़ चैनल्स आपको देखने को मिल जाएंगे। लेकिन जो बात दूरदर्शन के एंकर्स में थी, वो वर्तमान किसी भी न्यूज़ एंकर में नहीं पायी जाती। आज नयूज ऐंकर ने अपनी जो छवि बना रखी है वह बहुत ही अप्रिय है।
वर्तमान की न्यूजचैनल एंकर्स को चिल्ला चिल्लाकर खबर सुनाते देखा जा सकता है। इसके अलावा न्यूज़ एंकर्स मे वो सादगी भी खत्म हो चुकी है, जो हम पहले देखा करते थे। आज एंकर्स डेर सारा मेकअप करके खुद को दर्शकों के सामने पेश करते हैं।आज खबरों का वह महत्त्व नहीं बचा जो एक वक्त पर हुआ करता था। आज एंकर्स के व्यवहार मे शालीनता की कमी देखी जा सकती है। वही पुराने समय में न्यूज़ एंकर्स का व्यवहार बहुत ही शालीनता भरा और सौम्या होता था। दूरदर्शन पर एंकर्स बहुत ही सादगी और शालीनता का व्यवहार रखते हुए न्यूज़ पढ़ते थे। जिसकी वजह से लोगों को खबरें देखने में अलग मज़ा आता था।
पुराने दिनों में दूरदर्शन पर रोज़ाना सुबह और शाम के समय खबरों का प्रसारण किया जाता। जिसमें एक महिला एंकर दर्शकों के लिए हिंदी और अंग्रेजी भाषा में शांतिपूर्वक नयूज पढ़ा करती थी। उनकी आवाज़ में एक ठहराव और शालीनता को महसूस किया जाता सकता था। बिना किसी शोर शराबे के न्यूज़ को पढ़ने की कला आज खत्म होती नजर आ रही है। इसके अलावा जब एंकर को एक नेगेटिव या दुखद न्यूज़ सुनाती थी, तो अपनी आवाज़ को बहुत धीमी सहज और स्थिर रखती थी। उस समय के न्यूज़ चैनल पर हम कभी चिल्लाने चीखने या अपशब्द की आवाज तक नहीं सुनते थे। आज का न्यूजचैनल ने सिर्फ चीखना चिल्लाना एवं बहस करने में अपना ध्यान केंद्रित कर रखा है।
जिसकी वजह से लोगों का मन अब न्यूस चैनल से हट चुका है। दूरदर्शन की महिला एंकर अपनी संस्कृति का प्रतिबिंब दिखाई पड़ती थी। जो कि आज देख पाना बहुत ही मुश्किल है। उस दौर की कुछ महिलाएं एंकर्स जैसे सलमा सुल्तान,रिनी सिमोन, ऊषा, मंजरी जोशी, सरला महेश्वरी नीलम शर्मा आज भी अपनी सादगी की मिसाल देते नजर आते हैं।