Om Prakash: पान की दुकान पर खड़े-खड़े ले लिया था शादी का फैसला, नहीं टाल सके बूढ़ी विधवा की बात

Ranjana Pandey
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कभी कॉमेडी तो कभी सीरियस अंदाज से दर्शकों का दिल जीतने वाली ओम प्रकाश को आज सभी याद कर रहे हैं. उन्होंने साल 1998 में आज ही के दिन इस दुनिया को अलविदा कहा था. पांच दशक तक पर्दे पर अदाकारी का जादू चलाने वाले ओम प्रकाश अपनी कॉमिक टाइमिंग से अच्छे-अच्छों के पसीने छुड़ा दिया करते थे. ओम प्रकाश ने 12 साल की उम्र में क्लासिकल संगीत सीखना शुरू कर दिया था. उन्हें संगीत के साथ-साथ थियेटर व फिल्मों में दिलचस्पी थी.

ओम प्रकाश की पहली फिल्म ‘दासी’ थी. उन्होंने अपने करियर में आजाद,मिस मैरी, हावड़ा ब्रिज, दस लाख, प्यार किए जा, खानदान, साधु और शैतान, गोपी, दिल दौलत दुनिया समेत कई फिल्मों में काम किया. हर फिल्म में उनका किरदार पिछली फिल्म से अलग होता था. ओम प्रकाश ने एक्टिंग के साथ-साथ डायरेक्शन में भी हाथ आजमाया और ‘कन्हैया’ डायरेक्ट की. इस फिल्म में उन्हें नूतन और राज कपूर से एक्टिंग करवाने का मौका मिला.

बड़ी फिल्मी रही लव स्टोरी

ओम प्रकाश की लव स्टोरी भी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं थी. एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि एक बार उन्हें एक सिख लड़की से प्यार हो गया था लेकिन लड़की के घरवाले उनके खिलाफ थे क्योंकि वह हिंदू थे. उनकी मां लड़की के घर बात करने भी गई लेकिन उसके घरवाले नहीं माने.

पान की दुकान पर खड़े-खड़े तय की शादी.  

एक दिन ओम प्रकाश पान की दुकान पर खड़े थे तभी एक विधवा महिला आई और अपनी बड़ी बेटी से शादी करने के लिए उनसे मिन्नतें करने लगी. ओम प्रकाश की आत्मकथा के मुताबिक महिला ने कहा कि वह विधवा हैं और उनकी चार बेटियां हैं जिनमें सबसे बड़ी 16 साल की है. वो उन्हें दामाद बनाना चाहती थीं. इस बारे में मेरी मां से भी उनकी बात हो चुकी थी. उन्होंने ओम प्रकाश के आगे अपना पल्लू फैलाया और विनती की कि वह उनकी बेटी से शादी कर लें. ओम का दिल भी पिघल गया और उन्होंने उस महिला की लड़की से शादी कर ली.

 

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