नाम बड़े और दर्शन छोटे वाली बात साबित करती है प्रभास-पूजा हेगड़े स्टारर ‘राधे-श्याम’

Deepak Pandey
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प्रभास और पूजा हेगड़े की ‘राधे श्याम’ धमाकेदार बजट वाली, इस साल की पहली धांसू फिल्म है। फिल्म देखकर समझ आया कि मेकर्स का विज़न इस फिल्म के लिए कितना शानदार रहा होगा। ये फिल्म बहुत ग्रैंड है, बहुत ज्यादा ग्रैंड- निराशा के मामले में! क्योंकि ये ‘राधे श्याम’ उस किसी भी विज़न के आसपास भी नहीं फटकती, जिसकी उम्मीद आपको ट्रेलर देखकर लगी होगी।Radhe Shyam Review | Radhe Shyam Telugu Review

ईमानदारी से कहूं तो ‘राधे श्याम’ का ट्रेलर देखने के बाद ही मुझे डाउट होने लगा था कि रोमांस में प्रभास की वापसी कहीं शाहरुख़ का ‘जीरो’ वाला मुजस्समा न याद दिला दे। लेकिन फिल्म देखकर मुझे मेरे जजमेंट पर शर्मिंदगी हो रही है, क्योंकि ये मेरे अंदाज़े से भी कई गुना बड़ी डिसअपॉइंटमेंट है। क्यों?Radhe Shyam Glimpse : वैलेंटाइन डे पर प्रभास और पूजा हेगड़े ने दिखाई रोमांस  की खूबसूरत दुनिया, फिल्म रिलीज के लिए है तैयार | TV9 Bharatvarsh

ट्रेलर में एक बड़ा हिस्सा प्रभास के कैरेक्टर विक्रमादित्य पर फोकस कर रहा था, जो कि एक पामिस्ट है यानी हस्तरेखा विशेषज्ञ। जो आपका हाथ देखकर, जब आप स्पर्म थे उस समय से लेकर राख-मिट्टी हो जाने तक, सब जान जाता है। ‘राधे श्याम’ के ट्रेलर में लगा था कि विक्रमादित्य की ज्योतिष विद्या वाले साइड पर फिल्म ज्यादा ध्यान देगी। लेकिन फिल्म में बस बता दिया जाता है कि भैया ये तो सब जानते हैं इसलिए इनसे पंगे मत लेना।Radhe Shyam: First Review Of Prabhas, Pooja Hegde's Love Saga Is Out  Stating It's A Sure Shot Winner!

इस बात से सबसे पहले घबराए फिल्म के राइटर्स और डायरेक्टर। क्योंकि फिर उन्होंने प्रभास के कैरेक्टर के साथ कुछ अलग करने की सोची ही नहीं। कहानी बस इतनी सी है कि इन भाईसाहब को पता है कि इनके हाथ में प्यार वाली रेखा ही नहीं है। इसलिए ये टॉक्सिक पुरुष केवल ‘वन नाईट एट अ टाइम’ (एक बार में एक रात की सोचेंगे) वाली ज़िन्दगी जिए जा रहा है। और कन्याओं को एंटरटेनमेंट का सामान समझता रहता है।Radhe Shyam movie review: प्रभास और पूजा हेगड़े के लिए एक बार देख सकते हैं  ये फिल्म - One can watch this movie just for Prabhas and Pooja Hegde

फिर आती हैं पूजा हेगड़े,खैर, तो अब स्यापा ये है कि डॉक्टर प्रेरणा उर्फ़ आदरणीया पूजा हेगड़े जी साइंस की वाली हो गयीं, प्रभास जी ज्योतिष वाले हो गए। और प्रभास जी के गुरूजी का मानना है ज्योतिष 99% साइंस ही है और 1% लोग ऐसे हैं जो अपनी किस्मत से अलग रास्ता निकाल लेते हैं। लेकिन विक्रमादित्य जी का कहना है कि ऐसा कुछ नहीं है और सबकुछ तय है, लिखा जा चुका है। तो फिल्म में सारा खेल इस 1% का है। और इस 1% में ही फिल्म के राइटर-डायरेक्टर राधाकृष्ण कुमार ने जो खेला है उससे साइंस, ज्योतिष और सिनेमा तीनों का खून खौल जाएगा। सवा दो घंटे के करीब की ये फिल्म इतनी खपाऊ है कि आधे से ज्यादा टाइम आप ‘क्या? क्यों? कैसे?’ ही सोचते रहते हैं!

ऊपर से दोनों लीडिंग एक्टर्स की ऐसी ठंडी केमिस्ट्री तो आखिरी बार कब देखी थी ये याद भी नहीं आ रहा। इटली में बेस्ड इस कहानी के विजुअल्स इतने धांसू हैं कि रोम वाले खुद नहीं पहचान पाएंगे कि ये उनका ही शहर है। ठीक वैसे ही जैसे शायद फिल्म देखने के बाद कई प्रभास फैन्स खुद ये बोल दें कि ये हमारा प्रभास नहीं है।

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