सिनेमाई पर्दे पर ऐसे कई कलाकार हुए हैं जिन्होंने हीरो बनने के लिए जी तोड़ मेहनत की और सफल नहीं हो पाए। लेकिन जब इन कलाकारों ने छोटे पर्दे यानी टेलीविजन का रुख किया तो इतने फेमस हुए जितना कोई फिल्मी हीरो। क्योंकि दर्शकों ने उस कलाकार की एक्टिंग को पसंद किया। ऐसे ही नेचुरल एक्टर हैं सुदेश बेरी ।
फ़िल्मों में संघर्ष के दौरान जहाँ एक ओर कोई भी एक्टर हर तरह के रोल्स करने को तैयार रहता है और एक भी चांस नहीं गँवाना चाहता है तो वहीं सुदेश बेरी ऐसे एक्टर में से हैं जिन्होंने अपने संघर्ष के दौरान भी बस अपने दिल की सुनी और वही काम किया जो उन्हें पसंद आया।
20 जुलाई 1960 को मुंबई में जन्मे सुदेश बेरी आज बेशक़ एक जाने माने एक्टर्स में गिने जाते हैं लेकिन कभी सुदेश के पिता चाहते थे कि वो एक बॉक्सर बनें और सुदेश ने बाकायदा बॉक्सिंग की शुरुआत भी कर दी थी। सुदेश अपने कॉलेज के दिनों में बॉक्सिंग चैंपियनशिप में हिस्सा भी लेने लगे थे लेकिन उनके साथ हुई एक दुर्घटना के बाद उन्होंने बॉक्सिंग से पूरी तरह से दूरी बना ली और अपने दूसरे शौक़ एक्टिंग को ही अपना कॅरियर बनाने का मन बना लिया।
मुंबई के फिल्मी माहौल में पले बढ़े सुदेश अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद कई वर्षों तक नाट्य संस्था ईप्टा से जुड़कर थियेटर में अभिनय किया जहाँ उनके अभिनय को ख़ूब सराहा गया। हालांकि जब सुदेश ने थियेटर में शुरुआत की थी तो उनकी नौजवानी की उम्र थी और वे मौज मस्ती भी ख़ूब किया करते थे लेकिन जैसे ही वे ख़ुद को नाटक के किरदार में ढालते तो लोगों को यक़ीन नहीं होता कि ये वही मनमौजी लड़का है।
सुदेश बताते हैं कि उस दौरान उन्होंने अपना पहला नाटक शबाना आज़मी जी के साथ किया था जिसका नाम था ‘सफेद कुण्डली‘ जिसमें उनके काम को देखकर वे कहती थीं कि ये तो ‘रॉ डायमण्ड‘ है। बहरहाल ऐसे तारीफ़ों के साथ–साथ धीरे–धीरे उन्हें नाटकों में मेन रोल्स मिलने लगे और सुदेश मुंबई थियेटर के एक मशहूर एक्टर हो गये।
इसी दौरान वर्ष 1982 में ईप्टा से जुड़े एक्टर्स और और कुछ चर्चित चेहरों को लेकर एक फिल्म बनी जिसका नाम था ‘तड़प‘, जो कुछ विवादित दृश्यों के कारण 8 साल रिलीज के लिए तरसती रही ।
सुदेश ने दूरदर्शन सहित कई चैनल्स पर दर्जनों धारावाहिकों में लीड रोल्स निभाये और ढेरों धारावाहिकों में सहायक और चरित्र भुमिकाओं को भी सफलता पूर्वक अभिनीत किया । जिनमें युग, अंदाज, अगले जन्म मोहे बिटिया ही कीजो, बेगुसराय आरज़ू, बंधन, सिया के राम, कहीं किसी रोज़, माता की चौकी, शक्ति, मुस्कान और प्रेम या पहेली–चंद्रकांता जैसे न जाने कितने ही धारावाहिकों के नाम शामिल हैं । सुदेश का सफर आज भी बदस्तूर ज़ारी हैं। इसके अलावा सुदेश कई सारे वेब शोज़ में भी सक्रिय हैं।