भारत जाने माने वाले उद्योगपति और चेयरमैन रतन टाटा एक उद्योगपति के साथ एक नेक दिल इंसान भी है।ये हमेशा लोगों की मदद के लिए अक्सर आगे आते हैं।इसी के चलते ये लोग इन्हें काफी सम्मान देते हैं। बीते मंगलवार को रतन टाटा ने बुजुर्गों की सेवा के लिए ‘गु़ड फेलोज’ में निवेश करने की घोषणा की है। इस खास मौके पर उद्योगपति ने कई बातें शेयर की। रतन टाटा ने बातों ही बातों में बताया कि अकेलापन का अनुभव कैसा होता है ?
आप शायद ये नहीं जानते होंगे ये स्टार्टअप को शांतनु नायडू ने शुरू किया है ।शांतनु नायडू टाटा ऑफिस में जनरल मैनेजर के औधे पर है। रतन टाटा के इर्द-गिर्द ये अक्सर नजर आते हैं। इनका ये स्टार्टअप युवाओं को बूढ़े लोगों को सहारा बनाने में कारगर होगा ।यहां तो युवा बुजुर्गों के साथ कैरम खेलने के साथ ही अखबार पढ़ने और आराम करने में उनकी बकायदा मदद करेंगे।
उद्योगपति ने अकेलेपन के दर्द को बयां किया
रतन टाटा ने इस स्टार्टअप की शुरुआत के समय बताया की ” आपको तब तक अकेले होने का असर मतलब समझ में नहीं आता, जब तक आप एक साथी की चाह में अकेलापन खुद महसूस नहीं करते हैं। आपको बूढ़े होने से जरा भी डर नहीं लगता लेकिन जैसे ही आप बूढ़े होने लगते हैं, तब आपको थोड़ा-थोड़ा समझ में आने लगता है कि दुनिया वाकई काफी जटिल है।जब तक आप पूरी तरह बूढ़े नहीं हो जाते। तब तक किसी को भी बूढ़े होने में जरा भी मन नहीं लगता। बुजुर्गों के अकेलेपन को दूर करने के लिए ऐसे स्टार्टअप की जरूरत थी।ये मेरे लिए बेहद खुशी की बात है।
रतन को प्यार हुआ लेकिन शादी न हो सकी
रतन टाटा के निजी जिंदगी के पन्ने को पलटें तो पता चलता है कि नौकरी के दौरान इन्हें एक लड़की से प्यार हुआ था लेकिन इनका प्यार शादी की मुकाम तक ना पहुंच सका ।एक इंटरव्यू के दौरान उद्योगपति ने खुलासा किया था कि जब वो लॉस एंजेल में नौकरी कर रहे थे तो उन्हें किसी से प्यार हुआ था और वो शादी करने की योजना में थे।
लेकिन उसी समय उन्होंने अस्थाई रूप से भारत लौटने का निर्णय लिया क्योंकि उस दौरान उनकी दादी की तबीयत ज्यादा खराब थी और वो उनसे करीब 7 साल से दूर थे। ऐसे में दादी से मिलने के लिए वो भारत आए और उनका मानना था कि वो जिस से शादी करना चाहते हैं वो भी उनके साथ भारत आए। लेकिन तभी 1962 के भारत-चीन युद्ध के चलते रतन टाटा के माता पिता शादी के लिए तैयार नहीं हुए। इसी के चलते उनका रिश्ता टूट गया।