कर्नाटक के स्कूल कॉलेजों में चल रहे हिजाब को लेकर विवाद देश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है। हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के खिलाफ शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई। इस विवाद की लहर में बॉलिवुड के टॉप सितारों तक के नाम भी लपेटे में आ गए हैं। सोशल मीडिया पर यह खबर फैलती दिखी कि यह नारे लगाने के लिए सलमान खान, आमिर औऱ तुर्की सरकार मुस्कान खान को 5 करोड़ देंगे।
हिजाब विवाद मामले के वीडियो के वायरल होने के बाद कुछ लोगों ने मुस्कान का समर्थन कर उसकी हिम्मत की तारीफ की, तो वहीं कुछ ने कॉलेज में हिजाब पहनकर आने वाली लड़कियों की जिद की अलोचना की। वहीं सोशल मीडिया पर कुछ ऐसे पोस्ट दिखे जिनमें कहा गया है कि मुस्कान खान को ऐसा करने के लिए जहां तुर्की सरकार 5 करोड़ रुपये दे रही है। तो कुछ में कहा गया है कि सलमान और आमिर 3 करोड़ जबकि तुर्की सरकार 2 करोड़ रुपये देगी। मगर आपको बता दें ये खबरें सिर्फ एक अफवाह है।
Ap ki 1 ankh pe Kisi ne Tatti kar di h Jo Muskan Jaisi Pak Larki Ko Napak Ke Sath Jod Diya
— Usama (@Desire_computer) February 11, 2022
आपको बता दें, मुस्कान खान को लेकर तुर्की सरकार ने ऐसा कोई भी ऑफिशियल स्टेटमेंट जारी नहीं किया है जिसमें ईनाम देने की बात है। ना ही इनकी वेबसाइट पर ऐसी कोई प्रेस रिलीज जारी की है। वहीं, आमिर खान और सलमान खान ने तो अब तक हिजाब विवाद पर किसी तरह स्टेटमेंट नहीं दिया है। ऐसे में ये बात साफ है कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रही ऐसी खबरें बिल्कुल फेक हैं।
आखिर क्या है मामला
बात करें इस मामले की तो ये हिजाब विवाद 31 दिसंबर से कर्नाटक के उडुपी में स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनने को लेकर शुरू हुआ था, और ये विवाद बढ़ता ही जा रहा है। ये मामला कोर्ट तक पहुंच चुका है और इस मामले को लेकर स्कूल और कॉलेज में प्रदर्शन हो रहे हैं।
इन प्रदर्शनों के बाद मामले में कॉलेज प्रशासन को ऐक्शन लेना पड़ा, उन स्टूडेंट्स और उनके माता-पिता व अधिकारियों के साथ मीटिंग हुई लेकिन आखिरकार कोई परिणाम नहीं निकला। मुस्लमि स्टूडेंट्स के हिजाब पहनने के विरोध में हिंदू छात्र-छात्राएं भगवा शॉल और स्कार्फ पहन कर कॉलेज में पहुंचने लगे। इस मामले ने धीरे-धीरे काफी तूल पकड़ा कि 5 फरवरी को राज्य सरकार ने कर्नाटक शिक्षा अधिनियम 1983 की धारा 133(2) लागू कर दी।
इस अधिनियम के तहत सभी स्टूडेंट्स के लिए कॉलेज में तय यूनिफॉर्म पहनना अनिवार्य कर दिया गया। यह आदेश सरकारी और निजी, दोनों कॉलेजों पर लागू किया गया।
कई राजनीतिक दलों ने राज्य सरकार के इस फैसले का विरोध भी किया है और ये मामला फिलहाल उच्चतम न्यायालय तक पहुंच गया है।
उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गयी, जिसमें समानता और भाईचारे को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय अखंडता के वास्ते पंजीकृत शिक्षण संस्थानों में कर्मचारियों और विद्यार्थियों के लिए समान पोशाक संहिता लागू करने का केंद्र सरकार, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश देने का आग्रह किया गया है। फिलहाल उच्च न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में कर्नाटक सरकार से शिक्षण संस्थानों को खोलने के लिए कहा है। अदालत ने इसके साथ ही निर्णय आने तक शिक्षण संस्थानों में कक्षाओं में किसी भी प्रकार की धार्मिक कपड़े पहनने पर रोक लगा दी है।