भारतीय सिनेमा को एक से बढ़कर एक फिल्में देने वाले दिग्गज फिल्ममेकर सत्यजीत रे 23 अप्रैल 1992 को इस दुनिया से चले गए थे. उनका निधन सिनेमाजगत के लिए किसी गहरे सदमे से कम नहीं था. उनकी मौत को भले ही तीन दशक बीत गए हैं लेकिन वो अपनी फिल्मों के जरिए आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं. ऑस्कर के लेकर नेशनल अवॉर्ड तक कई सम्मान सत्यजीत रे के नाम हैं. उनकी पहली फिल्म से जुड़ा किस्सा बेहद दिलचस्प है. एक दौर में उन्हें फिल्म बनाने का ऐसा जुनून सवार हुआ कि उन्होंने कोई जरिया ना होते हुए भी करिश्मा करके दिखा दिया.
पहली फिल्म की कहानी
सत्यजीत रे किसी समय में ग्राफिक्स डिजाइनर थे. इस दौरान फ्रांसीसी निर्देशक जां रेनोआ से उनकी मुलाकात हुआ और ये मुलाकात उनकी जिंदगी के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुई. ये वही वक्त था जब पहली बार सत्यजीत रे के दिमाग में फिल्म बनाने का आइडिया आया था. 1950 में उन्होंने लंदन ‘बाइसिकल थीव्स’ देखी और इसके बाद तो फिल्ममेकर बनने का उनका इरादा और भी पक्का हो गया. उन्होंने 1952 में ‘पाथेर पांचाली’ बनाने का फैसला किया था. उस दौरान उनके पास पैसे नहीं थे तो उन्होंने बीवी की गहने बेचकर फिल्म बनाई थी.
ऑस्कर अवॉर्ड
सत्यजीत रे भारत के इकलौते ऐसे फिल्ममेकर हैं जिन्हें ऑस्कर अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है. सत्यजीत रे को साल 1992 में ऑस्कर का ऑनरेरी अवॉर्ड फॉर लाइफटाइम अचीवमेंट दिया गया था.
ऑस्कर देने वाली अकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंस के पदाधिकारियों ने ये अवॉर्ड उनके घर में पहुंचाया था. सिर्फ यही नहीं 1992 में सत्यजीत रे को भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका है. इसके अलावा भारत सरकार ने सत्यजीत रे को 32 राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया था.