राजस्थान में कुछ हिस्से ऐसे भी है जहां रेगिस्तान है और पानी की भी कमी है. ऐसी जगहों में जैसलमेर, बाड़मेर जैसे जिले आते है और यहां पर हर कोई खेती नहीं कर पाता है. हालांकि जैसलमेर के धोरों में लोग देश विदेश से घूमने आते है और ये एक पर्यटन स्थल के रूप में अपनी अच्छी पहचान बना चुका है. लेकिन अब अगर आपको कोई ऐसा कहे कि यहां के रेगिस्तान में भी बादाम, मिर्ची, बैगन, पालक, चंदेल, भिंडी आदि चीजे उगाई जा रही है तो आप सुनकर जरूर हैरान रह जाएंगे.
ऐसा सुनने में अजीब लग रहा होगा लेकिन कोरोना काल में जैसलमेर के रुपसी गांव के रहने वाले बीमा कंपनी के कर्मचारी श्याम सिंह ने यहां सब्जियों के साथ साथ बादाम की खेती भी शुरू कर दी. श्याम सिंह की मेहनत के कारण ही इतनी गर्मी वाली जगह में बादाम की खेती संभव हो पाई है और आखिरकार उसे इस काम में सफलता ही मिल गई.
श्याम सिंह ने अपने घर में ऑस्ट्रेलियन दूब भी विकसित की
इस गांव के लोगों के लिए यह हैरानी वाली बात है जो श्याम सिंह ने कर दिखाया है. लेकिन आज रूपसी गांव में श्याम सिंह का घर अलग ही दिखाई देता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि श्याम सिंह ने अपने घर में ऑस्ट्रेलियन दूब भी विकसित कर रखी है.
इस बारे में श्याम सिंह का कहना है कि उन्होंने मिट्टी के अंदर एक गड्ढा खोदा और उसमें पेड़ के सूखे पत्ते डालें और गोबर के साथ-साथ डालकर उसमें लगातार पानी का छिड़काव करते रहे. इस तरह से उन्होंने खाद तैयार कर बादाम की खेती में उसे इस्तेमाल किया है.
ऑस्ट्रेलियन दूब अत्यधिक कोमल होती है और यहां के लोगों को ऐसी विषम परिस्थितियों में इस प्रकार की दूब देखकर सच में हैरानी हो जाती है. आप लोगों को बता दें कि ऑस्ट्रेलियन दूब को उगाने के लिए ख़डीन की काली मिट्टी और सफेद रेत को मिलाकर मिश्रण तैयार किया गया और उसे लगातार 20 दिन तक पानी पिलाने के बाद उसे पाटे से दबाने से यह हो पाया है. आज इसी प्रकिया से यहाँ ऑस्ट्रेलियन दूब विकसित की गई है.