तमिलनाडु की परंपरा सबसे ज्यादा चौक देने वाली परंपरा है जहां औलाद ही अपने मां-बाप को मार देती है। आपको जानकर बड़ी और हैरानी होगी कि जहां औलाद ही अपने बीमार बुजुर्ग मां-बाप को मौत के घाट उतार देती है।
ठलाईकूठल नाम की एक परंपरा तमिलनाडु के दक्षिणी हिस्सों में लंबे समय से जारी है। यहां बच्चे अपने बूढ़े और बीमार माता-पिता को मार डालते हैं। इस प्रथा को अंग्रेजी में सेनिसाइड के नाम से जाना जाता है जिसका अर्थ होता है बुजुर्गों को मारना यह प्रथा गरीवी और परंपरा के मिश्रण है इस परंपरा में उन बुजुर्गों को मौत के घाट उतार दिया जाता है जो बिल्कुल मरने के कगार पर होते हैं। जा फिर कॉम में होते है। अंतिम संस्कार में बुजुर्गों को करने के लिए सबसे पहले उनके तेल से नहलाया जाता है फिर उन्हें नारियल का पानी पीने के लिए दिया जाता है। उसके बाद तुलसी जूस और फिर दूध पिलाया जाता है।
इस पूरी ड्रिंक को मरने से पहले वाली ड्रिंक माना जाता है। इस तरह उनके शरीर का तापमान तेजी से नीचे गिर जाता है। ठंड लग जाती है या हार्ट अटैक आ जाता है जिससे उनकी मौत हो जाती है।
इसके अलावा उन्हें मुरुक्कू नाम की नमकीन जलेबी खाने को दी जाती है। जो सख्त होती है जो जो गले में फंस जाती है। जिसके बाद उनकी मौत हो जाती है यही नहीं कुछ बुजुर्गों को ठंडा पानी से नहला देते हैं।उनने मरने के लिए सबसे अधिक तरीका बुजुर्गो का पेट खराब करना होता है । उन्हें पानी में मिट्टी मिलाकर पीने को दिया जाता है इसे पेट खराब हो जाता है और कमजोर हालत होने के कारण वह जल्दी दम तोड़ देते है .इस सारी विधि के दौरान अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू हो जाती है।
लोगों का मानना है कि पहले के वक्त की तुलना में अवश्य प्रथम ज्यादा हो रही है। क्योंकि उसे दौर में बुजुर्गों की देखभाल करने के लिए लोग घर पर ही मौजूद होते थे। इस प्रथा के लिए उन्हें बुजुर्गों को चुना जाता था। और जो मौत के मुंह में होते थे बिस्तर पर पड़े होते थे और लगभग मरने वाले होते थे। मगर उसके प्राण नहीं निकलते थे। ऐसे इस वजह से भी किया जाता था क्योंकि गरीबी की वजह से कई परिवारों के पास इतने पैसे नहीं होते थे कि बुजुर्गों की देखभाल कर पाए। यह प्रथा बाकी चौका देने वाली है दुनिया के अजीबोगरीब रिवाज माना जाता है।