संजय लीला भंसाली किसी प्रोजेक्ट पर काम करे और उस पर विवाद ना हो ऐसा कैसे हो सकता है। ताजा मामला गंगूबाई काठियावाड़ी फिल्म का है। जहां पर जनाब ने इस बार ऐसा कुछ कारनामा किया है कि गंगूबाई का परिवार जो कभी अपना सिर उठाकर समाज में जी रहा था आज खुद की पहचान छिपाने के लिए कोना ढूंढ रहा है।फिल्म पर हाल ही में गंगूबाई की फैमिली ने आपत्ति जताई है। परिवार ने फिल्म के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है। परिवार का आरोप है कि इस फिल्म में हमारी मां को सोशल वर्कर से प्रॉस्टिट्यूट बना दिया गया है।
क्या से क्या बना डाला, वाह रे भंसाली
गंगूबाई के बेटे बाबूरावजी शाह ने कहा, ‘फिल्म में मेरी मां को तो प्रॉस्टिट्यूट बनाकर रख दिया। अब लोग उनके बारे में तरह-तरह की बातें कर रहे हैं। यह बातें हमारी फैमिली को बहुत परेशान कर रही हैं। वहीं गंगूबाई की नातिन भारती ने कहा कि फिल्म के मेकर्स ने पैसों के लालच में आकर मेरे परिवार को डी-फेम कर दिया है। यह बिल्कुल भी एक्सेप्ट नहीं किया जा सकता है। मेकर्स ने फिल्म बनाने के लिए परिवार की सहमति भी नहीं ली है और न ही बुक के लिए कोई हमारे पास आया था।
मेकर्स ने बता दिया इल्लीगल
भारती ने फिल्म के मेकर्स पर भड़कते हुए कहा, ‘मेरी नानी कमाठीपुरा में रहती थीं, तो क्या वहां रहने वाली हर औरत वेश्या हो गई। मेरी नानी ने वहां 4 बच्चों को एडॉप्ट किया था, जो प्रॉस्टिट्यूट के ही बच्चे थे। मेरी मां का नाम शकुंतला रंजीत कावी, दूसरे बेटे का नाम रजनीकांत रावजी शाह, तीसरे बेटे का नाम बाबू रावजी शाह और चौथी बेटी है, जिसका नाम सुशीला रेड्डी हैं। हम उन्हीं के परिवार से हैं। मेकर्स ने हमें ही इल्लीगल करार दे दिया है। हमारी नानी ने जब एडॉप्शन किया था, उस वक्त इसके कानून नहीं बने थे।
किताब को आधार मानकर बना दी फिल्म
गंगूबाई आजादी के बाद की कहानी है। जो कि असल जिंदगी के कैरेक्टर से ली गई है। दरअसल कमाठीपुरा में रहने वाली गंगूबाई एक प्रोस्टिट्यूट एरिया में रहती थी। पेशे से वो सोशल वर्कर थीं। उन्होंने साल 1949 में 4 बच्चों को गोद लेकर उनकी जिम्मेदारी उठाई थी। लेकिन गंगूबाई पर लिखी एक किताब में उन्हें वैश्या बता दिया गया यहीं संजय लीला ने बिना तथ्य जानें ही उस पर फिल्म बनाकर रिलीज करने की घोषणा भी कर रखी है। अब परिवारवालों से पूछ रहे हैं जरा बताए आखिर गंगूबाई थी कौन ?