पिता 25 साल से ठेला चलाकर पाल रहे परिवार, UPSC Topper बन गई बेटी

Shilpi Soni
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एक कमरा, एक रसोई और सात सदस्य…. कुछ ऐसा ही है राजस्थान के भरतपुर के अटल बंद क्षेत्र में कंकड़ वाली कुईया निवासी गोविंद का परिवार। दो बेटी, तीन बेटे और पत्नी के साथ इस छोटे से घर में रहने वाले गोविंद खुद में बीते 25 साल से ठेला पर सांक बेच रहे हैं। दो दिन पहले UPSC का परिणाम गोविंद के लिए खुशियां लेकर आया। गोविंद की बेटी दीपेश कुमारी (Deepesh Kumari) ने विपरीत परिस्थितियों में भी कठिन परिश्रम कर यूपीएससी में 93 वी रैंक हासिल की है। अब गोविंद की बेटी अफसर बन गई है।

बेटी के अफसर बनने का नहीं घमंड

बेटी के अफसर बनने के बाद गोविंद के चेहरे पर खुशी जरूर है लेकिन घमंड बिल्कुल नहीं है। बेटी का परिणाम आने के अगले ही दिन गोविंद फिर से अपना ठेला लेकर परिवार पालने के लिए शहर की गलियों में निकल गए। गलियों में सांक बेचने के दौरान कई लोगों ने गोविंद को उसकी बेटी की सफलता पर बधाई दी। अपने जीवन के संघर्षों को लेकर गोविंद कहते हैं कि ‘जीवन में सुख दुख चलते रहते हैं। इंसान को मेहनत से मुंह नहीं मोड़ना चाहिए’। आज गोविंद की बेटी दीपेश कुमारी रिजल्ट आने के बाद घर आ रही है।

पांच भाई-बहने में दीपेश सबसे बड़ी

गोविंद ने बताया कि उनके पांच बेटे बेटियों में दीपेश कुमारी सबसे बड़ी है। दीपेश बचपन से ही पढ़ाई में होशियार थी। दसवीं तक की पढ़ाई भरतपुर शहर के ही शिशु आदर्श विद्या मंदिर से की। दीपेश कुमारी ने दसवीं कक्षा 98% अंकों के साथ और 12वीं कक्षा 89% अंकों के साथ उत्तीर्ण की। इसके बाद जोधपुर के एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग की और फिर आईआईटी मुंबई से एमटेक की पढ़ाई की। गोविंद ने बताया कि बेटी दीपेश कुमारी दिल्ली से यूपीएससी की तैयारी कर रही थी और दूसरे प्रयास में उसने 93वीं रैंक हासिल की है।

ठेला चालक गोविंद ने बताया कि उसकी दो बेटी और तीन बेटा हैं। सबसे बड़ी बेटी दीपेश कुमारी, दूसरी बेटी ममतेश कुमारी अग्रवाल जो दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में चिकित्सक है, बेटा सुमित अग्रवाल महाराष्ट्र में एमबीबीएस प्रथम वर्ष, अमित अग्रवाल गुवाहाटी से एमबीबीएस द्वितीय वर्ष में अध्ययनरत है। बेटा नंदकिशोर 12वीं पास है।

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