बॉलीवुड फिल्मों में एक्शन का दौर काफी पुराना रहा है । 70-80 के दशक में दर्शकों के बीच एक्शन की खूब डिमांड होती थी । डायरेक्टर भी दर्शकों की डिमांड के हिसाब से खूब एक्शन परोसत थे । एक्शन फिल्मों के लिए हमेशा हट्टे-कट्टे विलेन की जरूरत होती थी । जो मार-धाड़ और स्टंट करने में माहिर हो । ऐसे में उस समय एक एक्टर हर दूसरी फिल्म में देखा जाता था ।
इस एक्टर का नाम था माणिक ईरानी । नाम से भले ही आप इन्हें पहचान ना पाएं लेकिन चेहरा देखकर तो जरूर याद आ गया होगा । माणिक फिल्मों में विलेन के रोल में बहुत मशहूर थे । बिल्ला कहते ही दर्शकों के सामने माणिक का चेहरा आ जाता था ।
सुभाष घई की फिल्म ‘हीरो’ में निभाए बिल्ला नाम के विलेन के किरदार ने माणिक ईरानी को एक नया ही नाम दे दिया था। हालांकि इससे पहले माणिक ने और भी विलेन के किरदार निभाए थे, लेकिन उन्हें नई पहचान फिल्म ‘हीरो’ से मिली।
माणिक ईरानी का अपना ही एक अलग अंदाज था। उनका लुक ऐसा था कि कोई भी देखकर डर जाए और उस पर माणिक की जानदार डायलॉग डिलिवरी…. स्क्रीन पर माणिक के आते ही दहशत फैल जाती थी।दर्शकों के लिए वो किसी सुपरस्टार से कम नहीं थे । माणिक ने 1974 में गुंडे के किरदार से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद उन्होंने ‘कालीचरण’, ‘त्रिशूल’, ‘मिस्टर नटवरलाल’, ‘शान’ और ‘कसम पैदा करनेवाले की’ जैसी कई फिल्मों में काम किया।
सुभाष घई की फिल्म ‘कालीचरण’ में माणिक ने गूंगे विलेन का रोल प्ले किया और इसमें वो अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहे। इस तरह माणिक ईरानी ने 80 और 90 के दशक में विलेन के रोल में राज किया और अपना खौफ काबिज रखा, लेकिन ये खौफ अचानक ही धूमिल हो गया जब माणिक इरानी ने शराब के नशे में खुद को डुबो लिया और एक दिन इस दुनिया से चल बसे।माणिक ईरानी की मौत कैसे हुई किसी को नहीं पता। हालांकि कहा जाता है कि ज्यादा शराब पीने की वजह से वो दुनिया छोड़ गए। वहीं ये भी कहा जाता है कि माणिक ईरानी ने आत्महत्या की, लेकिन इन खबरों में कितनी सच्चाई है ये नहीं पता ।
माणिक ईरानी को अब फिल्म इंडस्ट्री पूरी तरह भूल चुकी है। ग्लैमर की दुनिया का यही सबसे कड़वा सच है। यहां तब तक लोग आपको सलाम ठोकते हैं जब तक आप सफलता के आसमां में चमकते हैं, लेकिन ढलते ही आपको भुला दिया जाता है ।