सुकून से चाय पी रहा था ये मशहूर विलेन, दोस्त की बहन देखते ही बोली- गुंडों को घर क्यों ले आते हो

Ranjana Pandey
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बॉलीवुड फिल्मों के मशहूर विलेन और एक्टर प्राण की आज 102वीं बर्थ एनिवर्सरी है। 12 फरवरी, 1920 को पुरानी दिल्ली के बल्लीमारान में पैदा हुए प्राण का पूरा नाम प्राण कृष्ण सिकंद है। उनके पिता केवल कृष्ण सिकंद सिविल इंजीनियर थे। प्राण कुल 6 भाई बहन थे। फिल्मों में आने से पहले फोटोग्राफी का शौक रखने वाले प्राण ने बंटवारे से पहले कुछ पंजाबी और हिंदी फिल्मों में बतौर लीड एक्टर काम किया। हालांकि, बॉलीवुड में उन्हें पहचान बतौर विलेन ही मिली। एक समय तो प्राण की इमेज ऐसी बन गई थी कि लोग उन्हें असल जिंदगी में भी गुंडा-मवाली समझने लगे थे। इस वजह से हीरो बनना पसंद नहीं करते थे प्राण.

प्राण ने लाहौर में 1942 से 46 तक यानी 4 सालों में 22 फिल्मों में काम किया। इसके बाद विभाजन हुआ और वो भारत आ गए और फिर यहां उन्हें फिल्मों में बतौर विलेन पहचान मिली। प्राण के बर्थडे पर जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ रोचक फैक्ट्स।

1950 से 1980 यानी 4 दशकों तक प्राण (Pran) फिल्म इंडस्ट्री के खूंखार विलेन के तौर पर मशहूर रहे। प्राण अपने कैरेक्टर में इतने ढल चुके थे कि रियल लाइफ में भी लोग उन्हें उसी तरह का समझते थे। एक बार प्राण दिल्ली में अपने दोस्त के घर चाय पीने गए। उस वक्त उनके दोस्त की छोटी बहन कॉलेज से वापस आई तो दोस्त ने उसे प्राण से मिलवाया।

 

इसके बाद जब प्राण  होटल लौटे तो दोस्त ने उन्हें पलटकर फोन किया और कहा कि उसकी बहन कह रही थी कि ऐसे बदमाश और गुंडे आदमी को घर लेकर क्यों आते हो? बता दें कि प्राण अपने किरदार को इतनी खूबी से निभाते थे कि लोग उन्हें असल में भी बुरा ही समझते थे। प्राण कहते थे कि उन्हें हीरो बनकर पेड़ के पीछे हीरोइन के साथ घूमना अच्छा नहीं लगता।

जवानी के दिनों में प्राण  लाहौर के एक स्टूडियो में काम करते थे। एक दिन वो दुकान के बाहर सिगरेट पी रहे थे। इसी दौरान उन्हें प्रोड्यूसर दलसुख एम. पंचोली के साथ काम करने वाले लेखक वली मोहम्मद ने देखा और फिल्म में काम करने के लिए ऑफर किया। इसके बाद उन्हें 1940 में पंजाबी फिल्म ‘यमला जट’ में काम मिल गया

करीब 22 फिल्मों में काम करने के बाद प्राण (Pran) बंटवारे के बाद पत्नी और एक साल के बेटे अरविंद को लेकर अगस्त 1947 में मुंबई आ गए। मुंबई में उनके पास कोई काम नहीं होने की वजह से पैसों की तंगी होने लगी। इसके बाद उन्होंने 8 महीने तक मरीन ड्राइव के पास स्थित एक होटल में काम किया। इसके बाद उन्हें देव आनंद स्टारर फिल्म ‘जिद्दी’ में काम मिला।

प्राण  ने 1945 में शुक्ला अहलूवालिया से शादी की थी। उनके 3 बच्चे हैं। दो बेटे अरविंद और सुनील सिकंद और एक बेटी पिंकी है। 1960 से 70 के दशक में प्राण की फीस 5 से 10 लाख रुपए होती थी। केवल राजेश खन्ना और शशि कपूर को ही उनसे ज्यादा फीस मिलती थी।1965 में फिल्म ‘गुमनाम’ की शूटिंग के दौरान फिल्म की एक्ट्रेस रहीं हेलेन ने प्राण (Pran) को लेकर डायरेक्टर से शिकायत की थी। दरअसल, फिल्म के एक गाने की शूटिंग स्वीमिंग पूल में हो रही थी। शूट खत्म होने पर सभी मस्ती करते थे। ऐसे में प्राण ने हेलन को मजाक-माजक में स्वीमिंग पूल में खींच लिया। हेलन को तैरना नहीं आता था, इसलिए वो प्राण पर भड़क उठीं।

अमिताभ बच्चन के करियर को संवारने वाली फिल्म ‘जंजीर’ पहले धर्मेंद्र, देव आनंद और राजकुमार को ऑफर हुई थी। लेकिन फिल्म के प्रोड्यूसर-डायरेक्टर प्रकाश मेहरा इस फिल्म को इन तीनों में से किसी के साथ भी फ्लोर पर नहीं ला पाए। जब तीन लोगों ने जंजीर को ठुकरा दिया तो एक दिन प्राण ने प्रकाश मेहरा को अमिताभ बच्चन को फिल्म में लेने की सलाह दी। प्रकाश मेहरा के मुताबिक, प्राण ने मुझसे कहा कि अमिताभ को ‘बॉम्बे टू गोवा’ में देखने के बाद मुझे लगता है कि वह फ्यूचर स्टार है।

एक इंटरव्यू में प्राण ने बताया था- फिल्म ‘उपकार’ से पहले सड़क पर मुझे लोग देख लेते तो ‘ओ बदमाश’, ‘ओ लफंगे’, ‘अरे गुंडे’ कहकर फब्तियां कसते थे। जब मैं परदे पर दिखता था तो बच्चे मां के पल्लू में मुंह छुपा लेते थे। फिर मनोज कुमार ने ‘उपकार’ में मेरी छवि बुरे आदमी से एक अच्छा आदमी की बना दी।

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