क्या आपको पता हैं ट्रैन में टॉयलेट की शुरुवात कब और क्यों हुआ ?

Monika Tripathi
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लोगो को ट्रेन में यात्रा करना खासा पसंद आता है और ट्रेन काफी दिलचस्प और मजेदार होती है।वही जब आप लंबे यात्रा पर होते है तो ये और सुहानी यात्रा हो जाती है। ट्रेन में यात्रियों के लिए तमाम सुविधा होती है लेकिन इसमें एक चीज जो काफी महत्व रखती है वो है ट्रेन में टॉयलेट का होना। भारत की ट्रेन में टॉयलेट बनाने की शुरुआत कब हुई।इसके बारे में लोगों को कुछ खासा जानकारी नहीं है। जबकि इसकी कहानी काफी लंबी और दिलचस्प है, तो चलिए आज इसके बारे में जानते हैं।

पहले ट्रेन में नहीं होते थें टॉयलेट

अधिकांश लोग जानते होंगे कि भारत में ट्रेन आने का श्रेय पूरी तरह से अंग्रेजों को जाता है। इससे एक बात और स्पष्ट हो जाती है कि भारत रेलवे का इतिहास काफी प्राचीन है। पहले के जमाने में रेलवे में टॉयलेट जैसी आम सुविधा भी उपलब्ध नहीं थी, लेकिन फिर कुछ समय बाद ट्रेन में टॉयलेट भी बनाया जाने लगा।

इस यात्री ने लिखा था लेटर

पहले के जमाने में ट्रेन में टॉयलेट की सुविधा ना होने के चलते यात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। ऐसे में ओखिल चंद्र सेन नाम के एक यात्री ने इस खास दिक्कत के बारे में लेटर लिखा। इन्होंने करीब 2 जुलाई 1909 साहिबा गंज रेलवे स्टेशन पश्चिम बंगाल को पत्र के जरिए टॉयलेट बनाने अनुरोध किया।

इस शख्स ने सबसे पहले लेटर लिखा

गौरतलब है कि ओखिल चंद्र सेन को यात्रा के समय टॉयलेट न होने के चलते कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इस परेशानी से तंग आकर उसने प्रशासन को अपनी तरफ से पत्र लिखकर इस समस्या को एड्रेस किया उसने लिखा कि वो ट्रेन से अहमदपुर स्टेशन पहुंचा ही था कि अचानक से उनके पेट में बड़े जोर से दर्द उठने लगा वो शौच करने की लिए स्टेशन पर बैठा ही था ,तभी गार्ड ने सीटी बजा दी।ट्रेन पटरियों पर दौड़ पड़ी।

यात्री का लिखना था कि “ट्रेन में टॉयलेट की सुविधा मौजूद ना होने के चलते उन्हें एक हाथ में लोटा और दूसरी में धोती पकड़ कर भागना पड़ा था। इसी के चलते वो एक बार गिर भी गए और इससे उन्हें काफी शर्मिंदगी हुई। दरअसल गार्ड ने उनके लिए ट्रेन नहीं रोकी। उस दौरान उन्हें काफी शर्मिंदगी महसूस हुई। यात्री ने आगे रेलवे विभाग से अनुरोध करते हुए लिखा कि उस गार्ड के ऊपर अच्छा खासा जुर्माना लगाए, अगर ऐसा नहीं हुआ तो इसकी जानकारी वो बड़े अखबारों में दे देंगे। भारत के इतिहास में ट्रेन की शुरुआत 1853 में हो गई थी। मॉडर्न समय में टॉयलेट के अलावा और भी खास सुविधाएं है लेकिन पहले के समय में इसका अभाव था जिससे लोगो को खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ता था।

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