ट्रेन की गति काफी तेज होती है। आपको एक जगह से दूसरी जगह पर काफी तेज गति ये ट्रेनें पहुंचा देती है। आज भारतीय रेल का नाम पूरी दुनिया में फैला है। क्योंकि ट्रेनों का नेटवर्क भारत में सबसे ज्यादा हैं। बावजूद इसके कई चीजें ऐसी हैं जिसे देखकर किसी के भी मन में कई सवाल खड़े हो जाते हैं। ऐसा ही एक सवाल है कि ट्रेन का ड्राइवर पटरी पर लेटे शख्स या फिर पटरी पार करते हुए जानवर को देखकर भी ट्रेन क्यों नहीं रोकता है। क्योंकि कई बार ऐसा देखा गया है कि कई जानवरों की ट्रेन की चपेट में आने से मौत हो चुकी है। आज हम आपको अपनी इस पोस्ट के जरिए बताएंगे कि आखिर क्यों ट्रेन को तुरंत रोकने में ड्राइवर नाकाम रहता है।
किसी भी ट्रेन की औसतन लंबाई कुल 20-22 कोच की होती है। इन कोच को एक दूसरे से एयरप्रेशर ब्रेक से जोड़ा जाता है। ताकि जब भी ब्रेक लगे तो हर कोच के पहिए में सामान रुप से दबाव पड़े और एक ही सीक्वेंस में ब्रेक लगे।अब जरा सोचिए कि कोई ट्रेन 80-100 किमी रफ्तार से दौड़ रही है। और जब आपका स्टेशन आता है तो ये ट्रेन करीब एक से डेढ़ किलोमीटर पहले से ही अपनी गति धीमी होनी शुरु होती है।
स्टेशन तक आते-आते ट्रेन की स्पीड घटकर 10-20 की हो जाती है। अपने गंतव्य स्टेशन पर पहुंचकर ये ट्रेन प्लेटफॉर्म में खड़ी होती है।यानी स्टेशन से करीब डेढ़ किलोमीटर पहले ही ट्रेन पर ब्रेक लगाकर उसे रोकने की प्रक्रिया शुरु कर दी जाती है। अब यदि कोई ट्रेन पहाड़ी रास्तों या फिर जंगल के बीच से गुजर रही है। जहां ड्राइवर को ये नहीं पता होता कि आगे क्या है। ऐसे में ना तो उसे ब्रेक लगाने के लिए सिग्नल मिलेगा और ना ही वो 100 मीटर से आगे कोई भी चीज देख पाएगा।
तो एक तेज गति की ट्रेन जिसे ब्रेक लगाने या इमरजेंसी के दौरान रोकने के लिए यदि आप ब्रेक लगाएंगे फिर भी वो एक से डेढ़ किलोमीटर जाकर ही रुकेगी। ऐसे में यदि ड्राइवर ने ये देख भी लिया कि आगे पटरी पर कोई लेटा है फिर भी वो ब्रेक लगाए तो पूरे डिब्बे एक किलोमीटर दूर जाकर ही रुकेंगे। ऐसे में जो भी पटरी में लेटा है या फिर उसकी चपेट में आया है उसकी मौत निश्चित है।
गार्ड भी लगा सकता है इमरजेंसी ब्रेक
कभी-कभी ऐसा होता है कि ट्रेन की ड्राइवर से पहले गार्ड को ही वॉकी-टॉकी की मदद से पहले से ही किसी आपात स्थिति की जानकारी दे दी जाती है। जिससे वो भी अपने कोच से इमरजेंसी ब्रेक लगा सकता है। ट्रेन में सफर करने वाले गार्ड के केबिन में एयर प्रेशर गेज होता है। यदि इस गेज को पूरा खोल दिया जाए तो एयर प्रेशर कम होने के कारण ट्रेन में ब्रेक लग जाएंगे। एयर प्रेशर गेज में 5 किलो प्रेशर होना चाहिए। ताकि पहिए जाम ना हो। कम प्रेशर होने पर कोच के पहियों में ब्रेक लग जाएंगे।