आराध्य देव भगवान शिव की पूजा शिवलिंग के रूप में क्यों होती है. आप भी जानिये महादेव से जुड़ा रहस्य

Mahaveer Nagar
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अगर आस्था की बात की जाए तो विश्व में भारत का नाम सबसे पहले आता है. क्योंकी यहां के लोगों का मानना है कि भक्ति में जो भक्त सदैव लगे रहते हैं उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. लोगों के आराध्य देव हैं. फिर भी शिव की मूर्ति की जगह शिवलिंग की पूजा क्यों की जाती है क्या आपको पता है कि शिवलिंग का वास्तविक अर्थ क्या है ? कई लोग इसके विषय में कुछ नही जानते हैं तो आइए जानते हैं कि महादेव के शिवलिंग का अर्थ क्या होता है?

शिवलिंग का वास्तविक अर्थ क्या है और कैसे इसका गलत अर्थ निकालकर लोगों को भ्रमित किया गया हैं शिव ब्रह्मा रूप होने के कारण निराकार हैं उनका न कोई स्वरूप है और न ही आकार वह निराकार हैं।.आदि और अंत न होने से लिंग को शिव का निराकार रूप माना जाता है जबकि उनके साकार रूप में उन्हें भगवान शंकर मानकर पूजा जाता है। केवल शिव ही निराकार लिंग के रूप में पूजे जाते हैं.

वायु पुराण के अनुसार प्रलयकाल में समस्त सृष्टि जिनमें लीन हो जाती है और पुन: सृष्टिकाल में जिससे प्रकट होती है उसे लिंग कहते हैं। इस प्रकार विश्व की सम्पूर्ण ऊर्जा ही लिंग का प्रतीक है। पौराणिक दृष्टि से लिंग के मूल में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु और ऊपर प्रणवाक्य महादेव स्थित हैं। केवल लिंग की पूजा करने मात्र से समस्त देवी-देवताओं की पूजा हो जाती है। लिंग पूजन परमात्मा के प्रमाण स्वरूप सूक्ष्म शरीर का पूजन है। शिव और शक्ति का पूर्ण स्वरूप है शिवलिंग.

शिव के निराकार स्वरूप में ध्यान-मग्र आत्मा सद्गति को प्राप्त होती है, उसे पारब्रह्म की प्राप्ति होती है। तात्पर्य यह है कि हमारी आत्मा का मिलन परमात्मा के साथ कराने का माध्यम स्वरूप है शिवलिंग, शिवलिंग साकार एवं निराकार ईश्वर का प्रतीक है जो परमात्मा आत्मा-लिंग का द्योतक है.

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