क्या अब भारत में चलेगे 10,000 और 5000 के नोट? क्या पहले भी थे ये बड़े नोट?

Pinky
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RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने 10 हजार और 5 हजार के नोटो को चलाने के बात करी थी। पर अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है।  क्या आपको पता है। की नोटबंदी का इतिहास काफी पुराना है आजादी से पहले भी नोटबंदी हो चुकी है। ब्रिटिश इंडिया से जुड़ा है नोटबंदी का इतिहास 12 जनवरी 1946 में पहली बार बड़े नोट लिए गए थे वापस। तो वही इस बार RBI ने भी 2000 का नोट वापस ले लिया है। पर इस बार 2016 वाला हाल नहीं होना है।  इस बार 2000 का नोट को बदलने या अपने अकाउंट में जमा करने के लिए आरबीआई की तरफ से समय दिया गया है।  फिर भी लोगों की मन में एक बार फिर से 2016 के हालात घूम रहे हैं।

हर तरफ 2016 के नोटबंदी की चर्चा चल रही है। वजह यह है कि 2016 की नोटबंदी को अभी 6 साल ही पूरे हुए हैं और लोगों ने खुद उन हालातो का अनुभव किया है. लेकिन क्या आपको मालूम है कि 2023 में 2000 के नोट वापस होने या फिर 2016 की नोटबंदी इसकी शुरुआत या फिर यह दूसरी बार नहीं है ये समय-समय पर नोटबंदी होती रहती है।  बाजार में चल रहे हैं नोटों को वापस लिया जाता है।  एक समय ऐसा था जब 10000 और 5000 के नोट भी भारत में चला करते थे जिन्हें वापस कर लिया गया था। नोटबंदी का इतिहास काफी पुराना है गुलाम भारत ने यानि आजादी के पहले भी नोटबंदी हुई थी। तो आईए जानते हैं भारत में कब-कब नोटबंदी हुई थी और कितने मूल्य के नोटों को वापस लिया गया था। 

आजादी के पहले नोटबंदी 12 जनवरी 1946

नोटों के चलन का इतिहास वो समय कभी नहीं भूल पाएंगे जब भारत में पहली बार बड़े नोटों को वापस लिया गया था। 12 जनवरी 1946 का वह दिन था जब ब्रिटिश इंडिया के तत्कालीन गवर्नर सर आरची वर्ल्ड ने बड़े नोटों को बंद कर दिया था और इस आदेश के ठीक 3 दिन बाद 26 जनवरी 1946 को भारत में 10 हजार,1 हजार और 500 के नोट लीगल टेंडर में नहीं रहे थे। जिसका मकसद काले धन को बाजारों से खत्म करने का था। क्योंकि ब्रिटिश इंडिया की नजर में यह बात थी कि इंडिया के बिजनेस मेन ने काफी धन इकट्ठा कर लिया है। और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से भी इसे छुपाया गया था।

आजादी के बाद नोटबंदी 16 जनवरी 1978

1946 के बाद 1978 में नोटबंदी हुई थी। उस समय केंद्र की सरकार मोरारजी देसाई चला रहे थे। रिपोर्ट के मुताबिक 14 जनवरी 1978 तक मुरारजी देसाई की सरकार नोटबंदी की प्लानिंग कर चुकी थी।  जिसके बाद आरबीआई ने नोटों को वापस लेने का आदेश तैयार किया जिसकी मंजूरी आरबीआई के तत्कालीन गवर्नर नीलम संजीव रेड्डी ने दी. फिर 16 जनवरी 1978 को 10हजार, 5हजार और 1 हजार के नोट बंद कर दिए गए थे।  जिसका 16 जनवरी की सुबह आकाशवाणी पर ऐलान कर दिया गया था। उसे वक्त भी इसके पीछे की वजह भ्रष्टाचार ही बताया गया था।

मोदी सरकार की नोटबंदी 8 नवंबर 2016

8 नवंबर 2016 की रात 8:00 बजे प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान किया था। जिसके तहत 1 हजार और 500 के नोट उसी समय बंद कर दिए गए थे। हालांकि पुराने 500 के नोट को बंद करके नया 500 का नोट जारी किया गया था।  तो वही 1 हजार के नोट को बंद करके 2 हजार के नोट को जारी किया गया था।  नोटबंदी का ऐलान करते समय प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी ने इसकी वजह भ्रष्टाचार और जाहली नोट पर नकल सानी का कारण बताया था।  हालांकि इस नोटबंदी को सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे तक जाना पड़ा था।  हालांकि इस नोटबंदी के बाद लोगों की परेशानी तो काफी बड़ी फिर भी नियमों के हिसाब से सुप्रीम कोर्ट ने इसे गलत नहीं ठहराया था।  लेकिन 2000 के नोट वापस लेते समय सरकार में इस बार कुछ समय जरूर दिया है जहां लोगों कोई थोड़ी राहत की सांस मिली है। और इस बार लोगो को 30 september तक का समय दिया गया था। जिस से लोगो को थोड़ा इजी हो गया था।

 

विकीपीडिया के अनुसार : https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%AC%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%80

नोटबंदी के बारे में पूरी जानकारी

 

 

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