बॉलीवुड में ‘मदर ऑफ कोरियोग्राफी’ के टैग से सम्मानित सरोज खान भले ही आज हमारे बीच न हों लेकिन इंडस्ट्री में उनके द्वारा दिया गया योगदान कभी भूला नहीं जा सकता। अपने करियर में 2000 से भी ज्यादा गानों की कोरियोग्राफी करने वाली सरोज खान गानों की थाप पर जितना खुलकर थिरकती नजर आती थीं, असल में उनकी जिंदगी में हर वक्त उतनी खुशहाली नहीं थी। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्हें क्या कुछ झेलना पड़ा और किन कष्टों से होकर गुजरना पड़ा यह जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। सरोज खान के जन्मदिन के मौके पर हम आपको उनकी जिंदगी की एक ऐसी कहानी के बारे में बता रहे हैं, जिसमें असहनीय पीड़ा के दौर में भी काम के प्रति उनकी लगन देखकर आप सोच में पड़ जाएंगे….
सरोज खान ने पढ़ाई लिखाई की उम्र में ही अपने से 28 साल बड़े डांस मास्टर सोहनलाल से शादी कर ली थी। उस वक्त उनकी उम्र सिर्फ 13 साल थी। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि ‘मैं उन दिनों स्कूल में पढ़ती थी तभी एक दिन मेरे डांस मास्टर सोहनलाल ने गले में काला धागा बांध दिया था और मेरी शादी हो गई थी।’
उसके एक साल बाद ही उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया। इसके बाद उनकी एक बेटी हुई। परिवार बढ़ने की खुशियां अभी चारों ओर बिखर ही रही थीं कि अचानक दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। सरोज खान की नवजात बेटी केवल आठ महीने तक ही जीवित रह सकी। ऐसे समय में पति सोहनलाल ने भी उनका साथ छोड़ दिया था। उन दिनों सरोज इंडस्ट्री में डांस की बदौलत अपनै पैर जमा चुकी थीं।
काफी समय पहले इस घटना को याद करते हुए उन्होंने कहा था कि ‘मेरी बेटी आठ महीने और पांच दिन की थी, जब उसका निधन हुआ था। उसे दफनाने के बाद उसी शाम को पांच बजे मैंने फिल्म “हरे रामा हरे कृष्णा” के गाने “दम मारो दम” की शूटिंग के लिए ट्रेन पकड़ ली।’ इसी से पता चलता है कि कितने मजबूत कलेजे के साथ सरोज अपने काम के प्रति निष्ठावान थीं।
मालूम हो कि सरोज खान 17 जून 2020 को सांस लेने में दिक्कत होने के कारण मुंबई के गुरु नानक अस्पताल में भर्ती हुई थीं। तीन जुलाई, 2020 को उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी मौत हो गई थी।