छतीसगढ़: छतीसगढ़ के इस इलाके को कहते हैं भारत का नाग लोक, यहां विषैले सांपों का बसता है पूरा गांव

छतीसगढ़: छतीसगढ़ के इस इलाके को कहते हैं भारत का नाग लोक, यहां विषैले सांपों का बसता है पूरा गांव

छतीसगढ़: दुनिया में हर कोई ऐसा इंसान है जो सांप का नाम सुनकर एक बार तो डर ही जाता है और अगर वह विषैला सांप हो तो लोग थर थर कांपने लगते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में एक ऐसा गांव है, जहां विषैले सांपों का पूरा गांव है. इसे भारत का नाग लोग भी कहा जाता है. बताया जाता है कि सबसे ज्यादा जहरीले सांप भारत में इसी जगह पाए जाते हैं क्योंकि यह इलाका इनके लिए अनुकूल है. हर साल सैकड़ों लोग सांपों के डसने से मर जाते हैं.

छतीसगढ़: ये है वो जगह

छत्तीसगढ़ राज्य का जशपुर जिला विषैले सांपों के लिए प्रसिद्ध है. इसे भारत का नाग लोक भी कहा जाता है क्योंकि यहां पर कोबरा और कुरैत जैसे विषैले सांप पाए जाते हैं जिनके एक बार डसने से लोग पानी तक नहीं मांगते. यहां जाने वाले लोगों को पहले ही सावधान कर दिया जाता है. बारिश और गर्मी के मौसम में तो यहां सांपों के डसने से कई सारे लोगों की मौत हो जाती है, क्योंकि गर्मी ज्यादा पड़ने पर सांप अपने बिलों से बाहर आ जाते हैं.

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छतीसगढ़: ये जगह सांपो के लिए अनुकूल

बताया जाता है कि छत्तीसगढ़ के जिला जशपुर की जलवायु और मिट्टी इन सांपों के लिए अनुकूल है. यहां पर भुरभुरी मिट्टी पाई जाती है, जिससे दीमक अपने मिट्टी के टीले बना लेते है. इसके बाद सर्प के जोड़े इन बिलों में घुसकर प्रजनन करते है और दीमक का सफा चट कर देते है.

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छतीसगढ़: मिलती है सबसे ज्यादा विषैली प्रजातियां

जशपुर जिले के तपकरा नामक इलाके में सबसे विषैले सांप पाए जाते हैं. कुछ साल पहले यहां पर स्नेक पार्क बनाने का काम भी शुरू हुआ था. लेकिन अभी तक सिर्फ इस पर विचार ही किया गया है.

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छतीसगढ़: पुराने समय से है सांप

बताया जाता है कि जब से यहां आदिवासी निवास करने लगे हैं तब से ही सांप भी यहां निवास करने लगे हैं. इस इलाके में विषैले सांपों की 70 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं. जिसमे कोबरा प्रजाति की चार और करैत की 3 अत्यंत विषैली प्रजाति पाई जाती है.

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छतीसगढ़: विदेशों से आते हैं सर्प प्रेमी

अत्यंत विषैले सांपों की प्रजाति पाए जाने के बाद भी देश विदेशों से यहां पर पर्यावरण प्रेमी और सांपों को पसंद करने वाले लोग आ जाते हैं. वे यहां आकर इनकी प्रजाति पर शोध करते है. स्थानीय लोग भी इनसे दुश्मनी नहीं रखते हैं और इसी वजह से यहां इनकी संख्या बढ़ती जाती है.

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Durga Pratap

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