90’s में कांचा चीना और कात्या जैसे किरदारों को यादगार बनाने वाले Danny Denzongpa आजकल कहां हैं?

90’s में कांचा चीना और कात्या जैसे किरदारों को यादगार बनाने वाले Danny Denzongpa आजकल कहां हैं?

मौत और बदनसीबी दो ऐसी चीजें हैं जो बग़ैर ख़बर किए आती है’, ‘हम खतरों को पालते नहीं खत्म कर देते हैं’ जैसे डायलॉग्स सुनते ही हमारे सामने लाल आंखें, तनतनाता चेहरा, रौब वाला अंदाज लिए हिंदी फिल्मों के उस लीजेंड कलाकार की तस्वीर बन जाती है, जो जब भी कैमरे के सामने होता था तो उसका मिज़ाज ज्यादातर समय कुछ ऐसा ही होता था।

जी हां, हम बात कर रहे हैं बॉलीवुड में दशकों तक अपना सिक्का चलाने वाले डैनी डेंगजोंग्पा की। उन्होंने अपनी दमदार अभिनय क्षमता से हिंदी सिनेमा में दशकों तक लाखों दिलों पर अपनी एक अलग छाप छोड़ी और आज भी उनका प्रसिद्धि वैसे ही कायम है।

सिक्किम के गंगटोक में हुआ जन्म
डैनी डेंगजोंग्पा का जन्म 25 फ़रवरी, 1948 को सिक्किम के गंगटोक में हुआ। उनका असल नाम शेरिंग फिंटसो डेंगजोंग्पा है। उनके बारे में एक रोचक किस्सा यह है कि जब वो बॉलीवुड में आए तो उनके नाम का उच्चारण करने में लोगों को दिक्कत आती थी, जिसके बाद जया बच्चन ने इन्हें ‘डैनी’ नाम दिया। इसके बाद वे फिल्मी दुनिया में डैनी के नाम से मशहूर हो गए। डैनी कॉलेज के दिनों से आर्मी में जाने का सपने देखा करते थे, लेकिन मां की नामंजूरी के बाद उन्होंने अभिनय को अपने कॅरियर के रूप में चुना।

शोले के ‘गब्बर’ के लिए पहली पसंद थे डैनी
भारतीय सिनेमा के इतिहास की कालजयी फिल्म ‘शोले’ हम सबको याद है। आज भी इस फिल्म का हर डायलॉग लोगों की जुबां पर रहता है। शोले के जिस गब्बर सिंह के नाम पर आज भी कितनी मां अपने बच्चों को सुलाती है, उस गब्बर का किरदार निभाने के लिए निर्देशक रमेश सिप्पी ने सबसे पहले अमजद खान की जगह डैनी डेंगजोंग्पा को पसंद किया था। लेकिन डैनी उस दौरान अपनी कुछ फिल्मों की व्यस्तता के चलते डेट्स फाइनल नहीं कर सके थे। इस दौरान रमेश सिप्पी ने गब्बर सिंह के रोल के लिए अमजद खान को सिलेक्ट कर लिया।

बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं डेंगजोंग्पा
फिल्मों में अपने अब तक के 5 दशक के कॅरियर में डैनी डेंगजोंग्पा ने अपना एक अलग मुकाम हासिल किया है। एक्टिंग के अलावा डैनी और भी कई शौक रखते हैं। वे टेबल टेनिस के एक अच्छे खिलाड़ी हैं। फिल्मों से फुरसत मिलते ही डैनी कई बार सेट पर अमिताभ बच्चन के साथ टेनिस खेला करते थे। इसके अलावा उन्हें गाना गाने का भी बड़ा शौक है। सादगी भरी ज़िंदगी जीने वाले डैनी नियमों के पक्के माने जाते हैं।

डैनी को आखिरी बार वर्ष 2019 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘मणिकर्णिका’ में एक्टिंग करते देखा गया। वे रोज़ाना सुबह 5 बजे योगा के साथ अपना दिन शुरू करते हैं। डैनी हमेशा से ही मीडिया से दूरी बनाए रखने में विश्वास रखते हैं। यही वजह है कि उनकी निजी ज़िंदगी या फिल्मी कॅरियर को लेकर किसी तरह की अफवाहें कम सुनने को मिलती है। कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए डैनी डेंगजोंग्पा को वर्ष 2003 में भारत सरकार की ओर से देश के चौथे सर्वोच्च सम्मान ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया।

Ranjana Pandey

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