बॉलीबुड के इन अभिनेताओं ने नहीं छोड़ी होती सरकारी नौकरी, तो कैसा होता हमारा सिनेमा का इतिहास जरा सोचिए

Ranjana Pandey
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फिल्मों का लगाव लोगों के सिर पर इस कदर चढ़कर बोलता है। इस बात का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इस इंडस्ट्री में कई सितारें ऐेसे हैं।

जिन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर रुपहले पर्दे पर काम करने की ठानी। रिस्क होने के बाद भी इन सितारों ने न सिर्फ एक्टिंग की बल्कि अपनी अदाकारी का लोहा भी मनवाया ।

 

1- अमरीश पूरी बॉलीवुड के सबसे दिग्गज अभिनेताओं में से एक है लोग आज इन्हे अपनी बेहतरीन एक्टिंग के लिए याद करते है । ये फिल्मो में आने से पहले ‘भारतीय स्टेट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया’ में नौकरी करते थे।  बाद में जब फिल्मो में एक्टिंग का मौका मिला तो इन्होंने नौकरी छोड़ दी।

 

2-बॉलीवुड के ट्रेजेडी किंग के नाम से मशहूर दिलीप कुमार फिल्मों में आने से पहले मिलिट्री कैंटीन चलाते थे।लेकिन दिलीप कुमार की किस्मत में कुछ और ही लिखा था। स्टाल बंद होने के  बाद वो 5 हजार लेकर मुंबई और  उनकी मुलाकात एक्ट्रेस देविका रानी से हुई जो बॉम्बे टॉकिज की ओनर थी।जब दिलीप ने पर्दों की दुनिया की तरफ रुख किया तो भारतीय सिनेमा को मिला एक बेहतरीन एक्टर ।

 

3-बलराज साहनी का ओ मेरी जोहरा जबीं गाना हर किसी को याद होगा। लेकिन कम लोगों को ये बात पता होगी कि बलराज फिल्मों में आने से पहले एक सरकारी कॉलेज में प्रोफेसर थे।

 

4-देव आनंद अपने जमाने के हैंडसम हीरो में शुमार थे। लेकिन फिल्मों से पहले ये सरकारी मुलाजिम थे। देव आनंद सेंसर बोर्ड के क्लर्क थे लेकिन फिल्मो में मौका मिलने पर इन्होने ये नौकरी छोड़ दी।उन्हें दोस्त गुरुदत्त की बदौलत बॉम्बे टाकीज़ प्रोडक्शन की फिल्म ज़िद्दी में मुख्य भूमिका मिली । फिल्म 1948 में रिलीज़ होकर सफल भी हुई।

5- साउथ में भगवान माने जाने वाले रजनीकांत फिल्मो में आने से पहले बैंगलोर परिवहन सेवा में बस कंडक्टर थे।लेकिन टिकट काटते-काटते रजनी का रुख फिल्मों की तरफ हुआ। उन्हें साउथ के मशहूर प्ले डायरेक्टर टोपी मुनिअप्पा के एक मायथोलॉजिकल प्ले में काम करने का मौका मिला।पिक्चर में एक छोटा सा किरदार मिला और इस किरदार के बाद एक्टिंग करने का जुनून थलैवा के सिर चढ़ गया , परिणाम आज सभी के सामने हैं।

6-राजकुमार मुंबई के माहिम थाने में सब इंस्पेक्टर के रूप में काम करते थे । एक बार पुलिस स्टेशन में फिल्म निर्माता बलदेव दुबे  काम के लिये आये थे। वहां राजकुमार के बातचीत करने के अंदाज से काफी इंप्रेस हो गए। उन्होंने राजकुमार से अपनी फिल्म ‘शाही बाजार’ में अभिनेता के रूप में काम करने की पेशकश की।लेकिन शाही बाजार से पहले 1952 में प्रदर्शित फिल्म ‘रंगीली’ में एक छोटी सी भूमिका राजकुमार ने स्वीकार कर ली थी।

 

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