जानिए ‘तुम तो ठहरे परदेशी’ गाना बनने की कहानी, जिसने अलताफ राजा को पहुंचाया बुलंदियों पर

‘तुम तो ठहरे परदेशी’ गाना गाकर रातों रात शोहरत पाने वाले अलताफ राजा आज लाइम लाइट से दूर हैं। अल्ताफ अपनेजमाने के ऐसे सिंगर थे जिनकी कामयाबी के आगे कोई दूसरा सिंगर नहीं था।
सिर्फ एक गाने ने अलताफ को वो पहचान दी जो शायद ही किसी दूसरे न्यू कमर सिंगर को मिलती है। अल्ताफ अभी भी सिंगिंग की दुनिया में सक्रिय हैं. हाल ही में उनका गाना ‘अपनी धुन’ रिलीज हुआ है ।
कैसे बना अलताफ रजा की ‘तुम तो ठहरे परदेशी’ ?
अलताफ राजा का सपना गजल गायक बनने का था लेकिन परिवार की सलाह पर उन्होंने फिल्मी गाने गाना कबूल किया। जिसके बाद आए उनके गाने ‘तुम तो ठहरे’ परदेशी ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए ।
अलताफ ने बताया कि जब सैटेलाइट चैनल ‘जी’ लॉन्च हो रहा था । तब उन्होंने इस गाने को स्टेज पर गाया था। जिसके बाद ये प्रोग्राम टीवी पर कई दफा रिपीट हुआ। जिससे उनकी लोकप्रियता बढ़ती गई।
जब 1996 में एल्बम बनाने की बारी आई तो अल्ताफ ने ‘तुम तो ठहरे परदेसी’ को छोड़ बाकी पांच गाने इस एल्बम में ऐड किए. लेकिन जब मां ने कहा कि ‘तुम तो ठहरे परदेशी के कॉपीराइट्स किसी के पास नहीं है। इसलिए इस गाने को अपने एलबम में शामिल कर लो।
इसके बाद तो मानिए इस गाने ने जो मुकाम हासिल किया वो आज तक कायम है।आधिकारिक रिकॉर्ड की माने तो इस एलबम के 70 हजार कैसेट्स बिके वहीं 4 मिलियन कॉपी भी लोगों ने हाथों-हाथ ली।
सिंगिंग में कैसे आए अलताफ
अल्ताफ राजा का जन्म नागपुर में हुआ था। उन्हें विरासत में संगीत मिली थी। उनके पिता इब्राहिम इकबाल कव्वाल और मां रानी रूपलता कव्वाल अपने जमाने के मशहूर कव्वाली गायक थे। अल्ताफ की पढ़ाई पुणे और मुंबई से हुई है. पुणे में पांच साल रहने के बाद वे मुंबई आए।
पढ़ाई खत्म कर वे करियर की ओर ध्यान देने लगे. उन्होंने फैशन डिजाइन और इंजीनियरिंग का भी कोर्स किया है। लेकिन उनका सारा फोकस संगीत पर ही था।