नसीरुद्दीन शाह पर जिगरी दोस्त ने ही किया वार, तब इस दोस्त ने बचाई थी जान

Smina Sumra
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Naseeruddin Shah Birthday: बॉलीवुड इंडस्ट्री में दोस्त मिलना है बड़ी ही मुश्किल बात होती है। इंडस्ट्री का माहौल ही कुछ ऐसा है कि लोग जरा सी बात पर सालों साल दुश्मनी निभाते हैं। इसके बावजूद भी हमें कुछ ऐसे किस्से भी देखने को मिलते हैं जिन्होंने दोस्ती की अनोखी मिसाल कायम की है। ऐसा ही एक किस्सा अभिनेता नसीरुद्दीन शाह से जुड़ा हुआ है। Naseeruddin Shah ने दिवंगत अभिनेता ओम पुरी के बारे में एक किस्सा कहा है कि उन्होंने अपनी जान पर खेलकर नसरुद्दीन शाह की जान बचाई थी। नसीर साहब और दिवंगत अभिनेता दोनों काफी अच्छे दोस्त थे। तो चलिए जानते हैं आखिर वह कौन सी घड़ी थी।

कॉलेज के दिनों से ही Naseeruddin Shah और Ompuri अच्छे दोस्त रहे थे। वर्ष 2014 में अपनी किताब ‘एंड देन वन डे: ए मेमॉयर’ में नसीरूद्दीन शाह ने बताया कि कॉलेज की यह दोस्ती बॉलीवुड में आने के बाद और भी मजबूत हो गई थी। नसीरूद्दीन शाह ने अपने साथ हुए एक हादसे का जिक्र करते हुए बताया था कि ओम पुरी ने एक सिरफिरे दोस्त से उनकी जान बचाई थी।

साल 1977 में बॉलीवुड के मशहुर निर्देशक श्याम बेनेगल ‘भूमिका’ फिल्म की शूटिंग कर रहे थे। फिल्म के मुख्य किरदार स्मिता पाटिल और अमोल पालेकर के साथ ही Naseeruddin Shah और Ompuri भी इस फिल्म में एक महत्वपूर्ण किरदार में थे। एक दिन शूटिंग के बाद दोनों एक ढाबे पर खाना खाने गए। तभी अचानक ओमपुरी ने देखा कि नसीर साहब का एक जिगरी दोस्त जसपाल तेजी से उनकी तरफ बढ़ा और अचानक ही धारदार हथियार से नसरुद्दीन शाह पर वार कर दिया। इससे पहले कि जसपाल दूसरा वार करता ओमपुरी ने तुरंत ही उसका हाथ पकड़ लिया और उसे तब तक नहीं छोड़ा जब तक उन्होंने उसके हाथ से चाकू नहीं छुड़ा लिया।

इस हमले के बाद नसरुद्दीन शाह खून में लथपथ हो गए थे। ओम पुरी ने किसी तरह उन्हें ढाबे से बाहर निकाला और पुलिस को खबर की थी। पुलिस ने जसपाल को गिरफ्तार कर लिया और इस प्रकार ओमपुरी ने अपनी जान को जोखिम में डालकर अपने दोस्त नसीरुद्दीन शाह को जीवनदान दिया। नसरुद्दीन शाह ने अपनी किताब में लिखा है कि वह जसपाल को अपना सच्चा दोस्त समझते थे लेकिन वही उनकी सफलता से जलने लगे थे और उन पर हमला कर दिया था।

उस घटना को याद करते हुए नसीरूद्दीन शाह ने लिखा है, ‘उस दिन ओम पुरी ने मुझे पुलिस की गाड़ी से अस्पताल पहुंचाया, और वह भी बिना देरी किए। वह मेरे एक सच्चे दोस्त थे। वह मेरी जान बचाने के लिए कुछ भी कर सकते थे।’

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