Nawazuddin Siddiki : अक्सर ऐसा कहा जाता है कि जो चेहरे से सुंदर होगा वही बॉलीवुड में एंट्री कर सकता है लेकिन आज के जमाने में इस परिभाषा को पूरी तरीके से बदल दिया गया है. आज चेहरे की सुंदरता को नहीं बल्कि अभिनय और अनुभव को प्राथमिकता दी जाती है. अगर बात अभिनय की करें तो नवाज़ुद्दीन सिद्धकी ( nawazuddin siddiki ) के नाम से हम सभी परिचित हैं. वह हिंदी फिल्मों ( nawazuddin siddiki hit film ) का जाना मना चेहरा बन चुके हैं. इतना ही नहीं अपनी एक्टिंग के बल पर उन्होंने जनता का प्यार पूरी तरीके से लूटा है. केवल बॉलीवुड में ही नहीं बल्कि हॉलीवुड में भी अपनी धाक जमा चुके हैं.
नवाजुद्दीन सिद्दीकी का जन्म स्थान मुजफ्फरनगर का है वह मुजफ्फरनगर के छोटे से कस्बे में एक मुस्लिम परिवार में रहते थे. उनके पिता एक साधारण किसान हैं और नवाजुद्दीन के 7 भाइयों में सिर्फ 3 बहिनें हैं. उन्होंने स्नातक तक की पढ़ाई पूरी की है. उसके बाद एक कंपनी में काम करने लगे थे.
अपने परिवार का गुजारा चलाने के लिए उन्हें केमिस्ट के तौर पर भी काम करना पड़ा. उसके बाद धीरे-धीरे उन्होंने दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा ( nawazuddin siddiki hit film ) में एडमिशन ले लिया और अपना स्नातक पूरा किया.
उन्होंने फिल्म ” शूल,” और “सरफरोश” से डेब्यू किया था हालांकि इस फिल्म में उनका रोल बस कुछ ही समय का था. लोगों ने उनके चेहरे की वजह से उन्हें काम देना बंद कर दिया. कुछ समय के लिए उन्हें यहां तक लगने लगा कि उनका चेहरा बिल्कुल सुंदर नहीं है वह बॉलीवुड में नहीं टिक पाएंगे. लेकिन धीरे-धीरे करके रोल मिलते गए और उन्होंने मिलने वाले किसी साइड रोल को नहीं छोड़ा.
उसके बाद उन्हें फिल्म “कहानी”, “गैंग्स ऑफ वासेपुर,” और “लंच बॉक्स” जैसी फिल्मों की वजह से एक चेहरा मिला. लगातार संघर्ष करते हुए वह एक सफल अभिनेता बन चुके थे. अपनी कई फिल्मों से उन्होंने लोगों को चौंका दिया जिसमें “मांझी द माउंटेन मैन”, “रईस”, “किक और मंटो मुख्य थीं.
आपको बता दें नवाज़ुद्दीन सिद्धकी को कई बार बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का अवार्ड भी मिला है. इसके अलावा उन्होंने कई तरीके के स्क्रीन अवार्ड और ज़ी सिने अवॉर्ड्स भी जीते हैं.
यहां तक कि उन्होंने एशिया पेसिफिक स्क्रीन अवार्ड भी एक बार अपने नाम किया है.
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