अभिनेता फिरोज खान के अपने यहां आने पर पाकिस्तान सरकार ने लगा दी थी पाबंदी

बॉलीवुड अभिनेता, फिल्म निर्माता-निर्देशक फिरोज खान की 27 अप्रैल को 13वीं डेथ एनिवर्सरी है। उनका नाम हिंदी सिनेमा में 70-80 के दशक के सबसे स्टाइलिश हीरो में शामिल है। फिरोज को बॉलीवुड का ‘काऊब्वॉय’, ‘फैशन आइकन’ और ‘पूरब का क्लिंट ईस्टवुड’ कहा जाता था। उनका असल नाम जुल्फिकार अली शाह खान था। फिरोज का जन्म 25 सितंबर, 1939 को अफ़ग़ानिस्तान विस्थापित एक पठान परिवार में भारत के बेंगलुरु में हुआ था। उनके पिता सादिक अली खान तनोली अफ़ग़ानिस्तान के गज़नी प्रांत के रहने वाले थे, जबकि उनकी मां एक ईरानी महिला थीं।
12वीं के बाद एक्टर बनने चले आए थे मुंबई
फिरोज खान ने बेंगलुरु के बिशप कॉटन बॉयज स्कूल और सेंट जर्मेन हाई स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की थी। इसके बाद उन्होंने आगे कभी कॉलेज की पढ़ाई नहीं की। उनके पांच भाई अब्बास खान, शाहरुख शाह अली खान, समीर खान, अकबर खान और संजय खान थे। उनकी दो बहनें खुर्शिद शाहनावर और दिलशाद बेगम शेख थीं। फिरोज खान अपनी स्कूलिंग की पढ़ाई करने के बाद एक्टर बनने मुंबई आ गए थे। उन्होंने मुंबई में वाडिया एंड ब्रदर्स के यहां 300 रुपए महीने में नौकरी की और जिस मकान में वो रहते थे, उसका किराया भी 300 रुपए ही था। ज्यादा पैसे कमाने के लिए वो क्लब में स्नूकर के खेल में बेट्स लगाते थे।
वाडिया एंड ब्रदर्स ने ही फिरोज खान को अपनी फिल्म ‘रिपोर्टर राजू’ के लिए 1000 रुपए प्रतिमाह पर साइन कर लिया था। हालांकि फिरोज का एक्टिंग डेब्यू वर्ष 1960 में हुआ था। उन्हें को अपनी पहली फिल्म ‘दीदी’ में सेकंड लीड रोल मिला था। इसके बाद जल्द ही उन्हें एक इंग्लिश फिल्म साइन कर ली। इसका फिल्म का नाम था ‘टारजन गोज टु इंडिया’। इस फिल्म में उनके अपोजिट सिमी ग्रेवाल थी। फिरोज ने इसमें प्रिंस रघु कुमार का रोल प्ले किया था। साल 1962 में आई यह फिल्म ज्यादा नहीं चल पाईं।
फिल्म ‘ऊंचे लोग’ से बनाई अपनी अलग पहचान
पहली फिल्म करने के बाद फिरोज खान को अगले पांच साल तक ज्यादातर फिल्मों में सेकंड लीड रोल मिल रहे थे। साल 1965 में उन्हें फणी मजूमदार की फिल्म ‘ऊंचे लोग’ में काम करने का मौका मिला। इस फिल्म में फिरोज खान के सामने अशोक कुमार और राजकुमार जैसे बड़े कलाकार थे, लेकिन अपने शानदार अभिनय कौशन से वे दर्शकों पर अपनी छाप छोड़ने में सफल रहे। उसी साल उनकी एक और फिल्म ‘आरजू’ रिलीज हुई। इस फिल्म में उन्होंने राजेन्द्र कुमार और साधना के साथ काम किया था।वर्ष 1969 में फिरोज की फिल्म ‘आदमी और इंसान’ रिलीज हुई। यह फिल्म उनके कॅरियर के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुई। फिरोज खान को इस फिल्म के लिए फिल्मफेयर का सर्वश्रेष्ठ सहायक एक्टर का पुरस्कार मिला। उन्होंने अपने भाई संजय खान के साथ भी कुछ फिल्मों में काम किया, जिसमें ‘उपासना’, ‘मेला’, ‘नागिन’ जैसी हिट फिल्में भी शामिल हैं।
फिल्म ‘ताज महल’ के प्रमोशन के लिए गए थे पाकिस्तान
पाकिस्तान ने फिरोज खान के अपने यहां आने पर पाबंदी लगा दी गई थी। बात साल 2006 की है। फिरोज अपने भाई अकबर खान की फिल्म ‘ताज महल’ के प्रमोशन के लिए पाकिस्तान गए थे। वहां पर एक महफिल में उनकी पाकिस्तानी सिंगर और एंकर फ़क्र ए आलम से कहासुनी हो गई थी। कहा जाता है कि फिरोज ने हिंदुस्तान की तारीफ करते हुए कह दिया कि हमारे यहां हर कौम तरक्की कर रही है।वहीं, इस्लाम के नाम पर बना पाकिस्तान पिछड़ रहा है। इसके अलावा उन्होंने हिंदुस्तान की तारीफ़ में कई बातें पाकिस्तान में कह डालीं। इसके बाद तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ ने पाक हाई कमिश्नर को निर्देश दिया गया कि इस शख्स को आगे कभी पाकिस्तान का वीजा न दिया जाए।
आखिरी वक़्त में मुंबई का मोह छोड़ दिया
ज़िंदगी के आखिरी वक़्त में फिरोज खान ने मुंबई का मोह छोड़ दिया था। वे अपने बेंगलुरु के बाहरी हिस्से में बने फॉर्म हाउस में समय बिताया करते थे। उम्र के इस पड़ाव पर उन्हें कैंसर डायग्नोस हो गया था। उनका लंबे वक़्त तक मुंबई में इलाज चला, लेकिन जब डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए तो वापस अपने फॉर्म हाउस लौट गए। साल 2009 में 27 अप्रैल को 69 वर्ष की उम्र में फिरोज खान ने अपने फॉर्म हाउस पर आखिरी सांस ली।