एक ऐसा पेड़ जो अपने तने में 1.2 लाख लीटर पानी जमा कर सकता है… जानें कैसे

Shilpi Soni
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जैसा की हम सभी जानते है की ऊंट अपने कूबड़ में कई लीटर पानी जमा कर लेता है, लेकिन क्या आपने कभी ये सुना है कि कोई पेड़ अपने तने में लाखों लीटर पानी जमा कर सकता है? नहीं ना…. लेकिन हम आपको बता दे की ये एकदम सच है। दुनिया में एक ऐसा भी पेड़ है जो अपने तने में 1.2 लाख लीटर तक पानी जमा कर सकता है।

इस पेड़ का नाम ‘बाओबाब’ है और इसे हिंदी में ‘गोरक्षी का पेड़’ कहा जाता  हैं। बता दे की इस पेड़ का वैज्ञानिक नाम ‘एडंसोनिया डिजिटाटा’ है। आमतौर पर लोग इसे ‘बॉब’, ‘बोबोआ’, ‘बॉटल ट्री’ और ‘इनवर्टेड ट्री’ के नाम से जानते हैं और अरबी भाषा में इसे ‘बू-हिबाब’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है ‘कई बीजों वाला पेड़’।

इस अनोखे पेड़ को देखकर ऐसा लगता है कि इसकी जड़े ऊपर और तना नीचे है। ‘बाओबाब’ के पेड़ पर साल में केवल 6 महीने ही पत्ते लगते  हैं। इनके फूल लाल, पीले और सफेद रंग के होते हैं, इनकी 5 पंखुड़ियाँ होती हैं। बता दे की इन पेड से कुछ प्रजातियों के फूल नींबू या चमगादड़ द्वारा परागित होते हैं, जबकि बाकी इस उद्देश्य के लिए बाज नामक कीट पर निर्भर होते हैं।

जानकारों का कहना है कि ‘बाओबाब’ ट्री की सूंड में 11.2 लाख लीटर पानी स्टोर करने की क्षमता होती है। इसलिए लोग इसे ‘जीवन देने वाला  पेड़’ भी कहा जाता है। इनकी प्रजाति अफ्रीका के शुष्क क्षेत्रों में पाई जाती है। उनके पानी के खंभे 9 मीटर (30 फीट) व्यास और 18 मीटर (59 फीट) ऊंचाई तक पहुंच सकते हैं।

सदियों पुराने है ‘बाओबाब पेड़’

बता दे की अफ्रीकी देश मेडागास्कर में स्थित कुछ ‘बाओबाब पेड़’ सदियों पुराने हैं। एफेट्टी शहर के पास भी ऐसा ही एक पेड़ है। इस पेड़ का नाम ‘टी-पॉट बाओबाब’ है। यह पेड़ 1200 साल पुराना है।

बाओबाब पेड़ मेडागास्कर, 2 अन्य अफ्रीकी देशों और 1 ऑस्ट्रेलिया में पाए जाने वाले 9 पर्णपाती प्रजातियों के हिबिस्कस या मैलो परिवार की एक प्रजाति है। मेडागास्कर में पाई जाने वाली 6 प्रजातियों के तने का रंग ग्रे-ब्राउन से लेकर लाल तक होता है। इनके तने ऊपर से नीचे तक या बटन या बेलनाकार शंकु के आकार के होते हैं।

बेहद काम के होते है ‘बाओबाब पेड़’

बाओबाब पेड़ों की सभी प्रजातियों का उपयोग अफ्रीका के मूल निवासी करते हैं। इन पेड़ों की पत्तियाँ खाने योग्य होती हैं। उनके बड़े गले जैसे फल के गूदे से एक ताज़ा पेय बनाया जाता है, जिसका उपयोग दवा के रूप में भी किया जाता है। उनकी छाल से प्राप्त रेशे से रस्सियाँ और कपड़े बनाए जाते हैं।

 

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