चॉल में रहने वाला गरीब लड़का ऐसे बना तारक मेहता का ‘पोपटलाल’

Durga Pratap
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टीवी इंडस्ट्री में तारक मेहता का उल्टा चश्मा सीरियल काफी पॉपुलर है और इसके सभी किरदारों को लोगों का बहुत सारा प्यार मिला है. यह एक ऐसा सीरियल है जिसके सभी किरदारों को लोग अपने घर का सदस्य जैसा मानने लगे हैं. इस सीरियल के सभी किरदार काफी मेहनत के बाद यहां तक पहुंचे है. अपने से लगने वाले इन सभी लोगों की स्ट्रगल स्टोरी भी उतनी ही यूनिक है.

इस आर्टिकल में हम बात करने वाले हैं तारक मेहता के उल्टा चश्मा शो में पोपटलाल का किरदार निभाने वाले श्याम पाठक की. श्याम पाठक को आज लाखों लोग पसंद करते हैं लेकिन इससे पहले वह कई सारे छोटे-मोटे काम कर चुके हैं. वह एक गरीब सेल्समैन हुआ करते थे, लेकिन उनमें एक्टिंग करने का जज्बा था और उनकी मेहनत के दम पर ही आज उन्हें यह मुकाम हासिल हुआ है. आज हम श्याम पाठक की जुबानी ही उनकी संघर्ष की कहानी आपको बताने जा रहे हैं.

होना पड़ा शर्मिंदा

श्याम पाठक का जन्म मुंबई के घाटकोपर इलाके में हुआ था और वह 25 साल तक गरीबी की मार झेलते रहे. उन्होंने बताया कि वह बचपन में एक बाल संस्कार कार्यक्रम में जाया करते थे, जहां पर हर साल एक नाटक होता था. मैं तो तभी 6-7 साल का था और मुझे उस नाटक में मेन रोल दिया जाता था. यहां तक कि लोग मेरी एक्टिंग की सराहना करते हुए तालियां भी बजाते थे. इसके बाद से ही मुझे एक्टिंग करने का कीड़ा लग गया और मैं एक्टर बनना चाहता था.

इसके आगे श्याम पाठक ने बताया कि स्कूल के समय में मैं काफी एक्टिव था, लेकिन कॉलेज का समय आते-आते मुझे पढ़ाई के साथ-साथ जो भी करनी पड़ी है, क्योंकि मैं काफी इन लोअर मिडल क्लास फैमिली से था. मैंने दुकान पर सेल्समैन का काम करना शुरू कर दिया. वैसे तो मैंने जिंदगी में बहुत से काम किए हैं, लेकिन सेल्समैन का काम करते हुए मुझे काफी सराहना मिली. दुकान के मालिक का एक रुल था कि जो भी पहला कस्टमर आएगा उसे मैं ही अटेंड करूंगा. कई बार मेरे कॉलेज की लड़कियां अपनी मम्मी के साथ वहां शॉपिंग करनी आती थी तो मुझे उनके सामने बहुत शर्मिंदा होना पड़ता था.

सीए से बने एक्टर

मेरी मां का सपना था कि मैं चार्टर्ड अकाउंटेंट बनूं और मैंने इसके लिए काफी तैयारी भी. लेकिन मैं मन ही मन एक्टर बनने की ठान चुका था. किसी काम से इनकम टैक्स ऑफिस जाता था तो मैंने पास में ही नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स का बोर्ड देखा और उसके अंदर जाकर बड़ी हिम्मत के साथ 25 रूपये का सब्सक्रिप्शन ले लिया. मेरे सपनों को फिर से पँख मिल रहे थे.

इसके आगे तारक मेहता का उल्टा चश्मा के पोपटलाल ने बताया कि हम ऐसे समाज में रहते हैं, जहां मैं अपने एक्टर बनने की इच्छा लोगों को बताता तो वह मुझ पर हंस पड़ते और मुझे जॉब करके, शादी करने और सेटल होने के लिए कहते. लेकिन पता नहीं मेरे अंदर इतनी हिम्मत कहां से आई कि मैंने किसी को बिना बताएआप लाइब्रेरी में जाना शुरू कर दिया और थिएटर के लोगों से मुलाकात की.

मेरे पास थिएटर देखने के पैसे नहीं होते थे लेकिन रिक्वेस्ट करने पर बैक स्टेज से देखने का मौका मिल जाता था. इस दौरान मुझे पृथ्वी थिएटर के बारे में पता चला. उसी समय मेरे सीए के फाइनल एग्जाम्स नजदीक थे, लेकिन मेरा पढ़ाई में बिल्कुल महीने नहीं लगता था. लास्ट पेपर देकर मैं वहां से तुरंत निकल गया और मुझे राजा की रसोई में नैरेटर का एक रोल मिला.

चॉल में रहने वाला गरीब बना एक्टर

इसके आगे श्याम पाठक ने बताया कि जो भी हुआ मुझे उस पर विश्वास ही नहीं हो रहा है. मुझे आज विश्वास नहीं होता कि मैं एक लोअर मिडल क्लास फैमिली, चॉल में रहने वाला गरीब लड़का और पृथ्वी थिएटर में परफॉर्म कर रहा हूं. उस ग्लैमर वर्ल्ड को तो हम सभी जानते हैं लेकिन इसके पीछे जो मेहनत लगती है वह समझना बहुत मुश्किल है. मैने ‘स्क्रैच’ से अपने करियर की शुरुआत की.

थियेटर्स में मेरा नाम जब जम गया तो मैंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एडमिशन ले लिया. इसके बाद मैंने नेशनल लेवल पर एक्टिंग प्रैक्टिस करना शुरू कर दिया, लेकिन इस बात से मेरे मम्मी पापा बिल्कुल खुश नहीं थे. मैंने किसी भी तरह उन्हें मनाया. मेरे पास कोई गॉडफादर नहीं था, मेरे पास बस मेरी मेहनत थी.

आप लोगों की जानकारी के लिए बता दें कि श्याम पाठक ने जस्सूबेन जयंतीलाल की ज्वाइंट फैमिली, सुख बाय चांस, सोनपरी, एक चाबी है पड़ोस में और तारक मेहता का उल्टा चश्मा में काम किया है.

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