फिल्म ‘बाहुबली 2’ में अभिनेता प्रभास के संवादों की हिंदी में डबिंग करने वाले कलाकार शरद केलकर को सब जानते हैं लेकिन हिंदी में रिलीज होकर सिर्फ पांच दिन में 200 करोड़ रुपये की कमाई का धमाका कर देने वाली फिल्म ‘केजीएफ चैप्टर 2’ में इसके हीरो यश के संवाद हिंदी में डब करने वाले कलाकार सचिन गोले का शायद आपने नाम भी न सुना हो
संघर्ष की कहानी
फिल्म ‘केजीएफ चैप्टर 2’ और उससे पहले ‘केजीएफ चैप्टर 1’ में अभिनेता यश के संवाद हिंदी में डब करने वाले आवाज की दुनिया के बेहतरीन कलाकार सचिन गोले की कहानी। आवाज की दुनिया में शुरुआत मैंने साल 2008 में की। ये उन दिनों की बात है जब मैं पनवेल में रहता था। मैं मुंबई आया था हीरो बनने। माता पिता ने भी मेरा बहुत साथ दिया।पिता जी बोले कि अगर तेरा ये सपना है। तो तू कर। उनके आशीर्वाद से ही मैं यहां तक आ पाया। दुख ये है कि 2010 में ही उनका देहांत हो गया। मुंबई आए तो किराए पर रहते। बसों में धक्के खाते।
कुछ ऐसा बना रास्ता
पैसे थे नहीं। एक्टिंग भी कोई दे नहीं रहा था। मेरे एक दोस्त थे अनिल म्हात्रे। उन्होंने ही मेरा डबिंग की दुनिया से परिचय कराया। उनके साथ मैं नाटक करता था। गणेश दिवेकर नाम के बहुत बड़े डबिंग आर्टिस्ट हैं, उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा। महेंद्र भटनागर और सुमंत जामदार जैसे उस्तादों ने मुझे साउंड स्टूडियो में बैठकर इस तकनीक को समझने का मौका दिया। इस दौरान मैंने तमाम बैंकों में भी काम किया। होम लोन वगैरह का काम होता था फील्ड में, लेकिन मैं हाजिरी लगाकर साउंड स्टूडियो आ बैठता था।
सीनियर ने लगाई थी फटकार
मेरे सीनियर ने मुझे समझाया कि जो करना है, दिल से करो। आधा इधर, आधा उधर मत करो। तब मैंने तब से ठान लिया कि अभी कुछ भी हो, जीवन के अगले छह से आठ महीने मुम्बई को देने हैं। इसने कुछ बनाया तो ठीक नहीं तो अपने गांव वापस आएंगे। पनवेल जाकर अपना खुद का काम करूंगा। कोई नौकरी कर लेंगे।
उसके बाद मैं फिर पूरी तरह से लग गया। स्टूडियो स्टूडियो के चक्कर काटने लगा। खूब ताने सुनने को मिलते। आपका लहजा मराठी है। जुबान साफ नहीं है। धीरे बोलते हो। आपके संवाद कलाकार के होठों के साथ मैच (लिप सिंक) नहीं कर रहे। लेकिन, इस बीच ऐसे भी लोग मिले जिन्होंने मेरा उच्चारण, मेरा बोलने का लहजा दुरुस्त करने में खूब मदद की।
कुछ इस तरह हिट हुआ था डायलॉग
कलाकार का कहना है की ‘केजीएफ 1’ को मैं अपने डबिंग करियर का टर्निंग प्वाइंट तो नहीं, हां बड़ा पड़ाव जरूर मानता हूं। ऐसा इसलिए क्योंकि मैंने यश की तमाम दूसरी फिल्मों की डबिंग हिंदी में पहले की हुई थी। बस ये बात यश नहीं जानते थे। उन्होंने हिंदी में डबिंग के बाद सैटेलाइट चैनलों और यूट्यूब पर खूब देखी गई अपनी फिल्मों को देखना शुरू किया। ‘केजीएफ’ में यश की डबिंग के लिए तमाम आवाजों के सैंपल इकट्ठा हुए।
आगे उन्होंने कहा की मेरा भी लिया गया। लेकिन, यश ने अपनी हिंदी में डब फिल्मे जो देखीं थी, उनमें उनका ध्यान मेरी आवाज पर अटक गया। ऑडिशन में भी जो डॉयलॉग मैंने बोला वह बाद में फिल्म का हिट डॉयलॉग बना, ‘ट्रिगर पे हाथ रखने वाला शूटर नहीं होता। लड़की पे हाथ डालने वाला मर्द नहीं होता और अपुन की औकात अपुन के चाहने वालों से ज्यादा और कोई समझ नहीं सकता।’ तो मैं कह सकता हूं कि ‘केजीएफ’ में मेरी आवाज की कास्टिंग यश ने ही की। और, उन्होंने मेरे ऊपर मेहनत भी खूब की।