25 हज़ार खर्च करे मोती की खेती की शुरुवात, घर से ही 1 लाख रुपया महीना कमाए – सरकार देगी 50 % सब्सिडी भी -जाने नियम

क्या आप ऐसे व्यक्ति हैं, जो सोचते हैं कि खेती केवल खेतों, बीजों और खाद्य उत्पादों तक ही सीमित है? फिर आपके लिए फिर से सोचने का समय आ गया है। विभिन्न अपरंपरागत कृषि विचार हैं जो लोकप्रियता प्राप्त कर रहे हैं; उन्हीं में से एक है मोती की खेती। यह भारत में सबसे अच्छे जलीय कृषि व्यवसायों में से एक है
ऐसे होती है मोती की खेती
मोती की खेती शुरू करने के लिए करीब 500 वर्गफीट के एक तालाब की जरूरत होती है। इस तालाब में 100 सीप डालकर मोती की खेती शुरू की जा सकती है। रह सीप की बाजार में कीमत करीब 15 रुपये से लेकर 25 रुपये तक होती है। वहीं ताबाल में स्ट्रक्चर सेट अप पर करीब 10000 रुपये से 12000 रुपये तक का खर्च आता है। इसके अलावा वाटर ट्रीटमेंट पर भाी करीब 1000 रुपये और 1000 रुपये के उपकरण भी लेने होते हैं।
जब सीप तालाब में डाला जाता है तो इसमें से 15 से लेकी 20 महीने के बाद रह सीप से एक मोती मिलता है। इस मोती की बाजार में कीमत 300 रुपये से लेकर 1500 रुपये तक होती है। वहीं अगर आपका तैयार किया गया मोती अच्छी गुणवत्त का है तो इस डिजाइनर मोती के लिए आपको अंतरराष्ट्रीय बाजार में 10 हजार रुपये का दाम भी मिल सकता है। ऐसे में अगर एक मोती से औसतन 1000 रुपये मिल जाता है तो कुल मिलाकर 1 लाख रुपये तक की कमाई आसानी से हो सकती है। सीप की संख्या को बढ़ाकर आप चाहें तो अपनी कमाई भी बढ़ा सकते हैं।
मोती की खेती में कितना खर्च आता है?
सबसे पहले आपको भूमितल से 7-8 फिट की गहराई के गड्ढे बनवाने होंगे या आप ईंट-सीमेंट की टंकिया भी बनवा सकते हैं । इसमें कोई ज़्यादा खर्च नही आता है । Prize of Best Quality Pearl’s seep 10 से 15 रुपये तक होती है । एक वर्ष बाद Pearls Crop तैयार होती है, इस दौरान भोजन, दवाइयों एवं अन्य खर्चो को मिलाकर प्रति शिप 30 से 40 रुपये तक का Cost आता है । एक छोटे से गढ्ढे या टंकी में आप 4000 तक Seep आराम से डाल सकते हैं ।
ट्रेनिंग की होगी जरूरत
मोती की खेती थोड़ा वैज्ञानिक खेती है. इसलिए इसे शुरू करने से पहले आपको प्रशिक्षण की जरूरत पड़ेगी. इंडियर काउंसिल फॉर एग्रीकल्चर रिसर्च के तहत एक नया विंग बनाया गया है. इस विंग का नाम सीफा यानी सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेश वॉटर एक्वाकल्चर है. यह मोती की खेती की ट्रेनिंग देती है. इसका मुख्यालय उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर में है. यहां पर कोई भी 15 दिनों की ट्रेनिंग ले सकता है. इस ट्रेनिंग के बाद आपको सीप की व्यवस्था करनी होगी. यह सीप आप सरकारी संस्थानों से या मछुआरों से ले सकते हैं.